Computer Programming Kya Hai? सॉफ्टवेर बनाने की पूरी प्रक्रिया सीखे 2024

Software क्या हैं? के लेख में आपने जाना Computer के संचालन, नियन्त्रण एवं उसके द्वारा कार्य कराने के लिए ‘Software’ का उपयोग किया जाता हैं. Software अनेक कंप्यूटर प्रोग्रामों का संगठित रूप हैं. अनेक Computer Program को तैयार करके जब उन्हें एक दूसरे से किसी न किसी प्रकार से link कर दिया जाता हैं. तो वह Software का रूप ले लेता है. आइए अब इस लेख में हम Computer Programming Kya Hai? Software kaise banate hai? सॉफ्टवेर को विकसित करने की पूरी प्रक्रिया सीखते हैं.

हमें अपने दैनिक जीवन में, चाहे ऑफिस हो या घर कई प्रकार के समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं. उदाहरण के लिए मान लीजिए आप किसी ऑफिस में काम करते हैं और आपके सामने फिलहाल दो समस्याएँ हैं. पहला आपको अपनी कंपनी का profit & loss रिपोर्ट बनाना है और दूसरा आपकी wife चाहती है की आप घर जल्दी आए.

अब इन दोनों समस्याओं में पहली समस्या ऐसी हैं. जिसे computer द्वारा solve किया जा सकता हैं. लेकिन दूसरे समस्या को हल करने के लिए आपको स्वयं ही प्रयास करना होगा. वरना आपको पता ही है धर्मपत्नी की बात ना मानने से आपका क्या हाल होगा. इसलिए घर जल्दी जरूर जाइएगा. खैर जोक सपाट अपनी जगह है. चलिए आगे बढ़ाते है.

अब आप समझ पा रहे होगे की प्रत्येक समस्या का हल computer नहीं कर सकता है. लेकिन जो समस्याएँ कंप्यूटर द्वारा solve हो सकती हैं. वह Computer Problems कहलाती हैं. इसलिए कंप्यूटर से Solve होने वाली समस्याओं को एक अलग रूप से परिभाषित किया जाता है. जिसे Problem Definition नाम दिया गया है.

इतना समझ लीजिए कंप्यूटर सिर्फ उन्हीं समस्याओं को हल कर सकता हैं. जिसके बारे में उसे सही जानकारी एवं उसे हल करने के लिए उपयुक्त program दिए जाते है. एक कंप्यूटर समस्या को ढंग से समझना एवं समझकर उसे परिभाषित करना अति महत्वपूर्ण कार्य होता हैं. क्यों की यदि इसमें कोई गलती हो जाए. तो आगे के परिणाम त्रुटियों से भरे होगे. आइए Computer Programming kya hai? और सॉफ्टवेर विकसित करने की पूरी प्रक्रिया विस्तार से सीखते हैं.

कंप्यूटर प्रोग्रामिंग क्या है? What is Programming in Hindi

Computer Programming Kya Hai

एक कंप्यूटर प्रोग्राम में अनेक instructions एक क्रम में लिखे रहते हैं. Computer Program लिखने की क्रिया ‘Programming’ कहलाती हैं. Programming द्वारा ही कंप्यूटर को “विभिन्न कार्यों को करने का निर्देश” दिया जाता हैं. कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लिखना एक जटिल प्रक्रिया हैं.

Computer Programmer (प्रोग्राम लिखने वाला) सबसे पहले कंप्यूटर समस्या को अच्छे से समझता है. फिर उसका विश्लेषण करता है एवं उसके लिए सर्वश्रेष्ठ हल अर्थात Program लिखता हैं. किसी भी कंप्यूटर समस्या का उचित समाधान तभी प्राप्त हो सकता है. जब Programmer को कंप्यूटर समस्या की पूरी जानकारी हो एवं उसके पास program तैयार करने का knowledge और अनुभव हो.

‘Computer Programming’ को सफल बनाने के लिए यह बहुत ही आवश्यक है की Programmer को उस ‘Programming Language का भली-भाँति ज्ञान हो’, जिस Language में Program लिखा जाना हैं. साथ ही उसके पास ‘Program तैयार करने की प्रोसेस’ का भी पूरा ज्ञान होना चाहिए. कुछ प्रमुख Programming Languages के नाम निम्नलिखित हैं.

  • Java
  • C- Language
  • C/C++
  • Python
  • HTML
  • CSS
  • PHP
  • JavaScript
  • Swift
  • SQL

अब आप Computer Programming kya hai? से भली-भाती परिचित हो चुके हैं. चलिए अब जान लेते है की Software kaise banate hai? यानी कंप्यूटर प्रोग्राम की विकाश प्रक्रिया को अच्छे से समझते हैं.

कंप्यूटर प्रोग्राम की विकाश प्रक्रिया (Development Process of Computer Program)

Computer Programming kya hai? को अच्छे से जानने और समझने के बाद अब हम सीखेगे की कंप्यूटर प्रोग्राम कैसे बनाया जाता हैं? तो आपको बता दे की Software Program को तैयार करने की प्रक्रिया में अनेक कार्य होते हैं. अतः इस प्रक्रिया को कई स्टेप्स में बाटा गया हैं. प्रत्येक स्टेप्स में कुछ विशेष कार्यों की तैयारी की जाती हैं.

किसी भी Software को Develop करने के लिए अनेक तकनीक विकसित किए गए हैं. उनमें से कुछ प्रमुख तकनीक के विषय में नीचे विस्तार पूर्वक बताया गया हैं.

सॉफ्टवेर विकाश प्रक्रिया के चरण (Steps of Software Development in Hindi)

Program Develop करने की प्रक्रिया को अनेक स्टेप्स में विभाजित किया जाता हैं. जिनके प्रकार निम्नलिखित हैं.

  1. Problem Definition (समस्या को परिभाषित करना)
  2. Program Planning (प्रोग्राम की रूप रेखा तैयार करना)
  3. Program Designing (प्रोग्राम का डिजाइन तैयार करना)
  4. Program Coding (प्रोग्राम लिखना यानी कोडिंग करना)
  5. Program Debugging (प्रोग्राम को डिबग करना)
  6. Program Testing (प्रोग्राम का परीक्षण करना)
  7. Program Documentation (प्रोग्राम का दस्तावेज बनाना)
  8. Program Maintenance and Improvement (प्रोग्राम का रख-रखाव तथा सुधार)

आइए एक-एक करके उपर्युक्त सभी स्टेप्स के विषय में जान लेते हैं. आपको बताते चले एक स्टेप का सही तरह से सफल या असफल होना अन्य स्टेप को प्रभावित करते हैं. चलिए प्रथम चरण “समस्या की परिभाषा” से परिचित होते हैं.

Problem Definition (समस्या को परिभाषित करना)

इस चरण में Client (ग्राहक) एक Programmer को विस्तार पूर्वक अपनी समस्या बताता हैं. Programmer उस समस्या को ध्यानपूर्वक सुनता और समझता हैं. यदि Programmer को कोई समस्या सम्बन्धी शंका होती है, तो वह उसे दूर करता हैं.

समस्या से सम्बन्धी पूरी जानकारी को समझने के बाद Programmer को यह पता चल जाता है की अब उसे करना क्या हैं? क्यों की अब वह लिखे जाने वाले प्रोग्राम की सभी आवश्यकताओं से अवगत हो चूका होता हैं.

Programmer समस्या पर हुए विचार विमर्श और प्राप्त जानकारियों का विश्लेषण कर समस्या को परिभाषित करता हैं. समस्या की परिभाषा में कुछ बाते निर्धारित की जाती हैं. जैसे की समस्या का Statement, समाधान की विधि का व्याख्या, Solution, Data का Transformation, hardware और software की सीमाएँ इत्यादि.

इतना समझ लीजिए समस्या को परिभाषित करना Program विकास प्रक्रिया का एक बहुत ही महत्वपूर्ण एवं जटिल कार्य हैं. क्यों की समस्या को सही ढंग से समझे बिना उसका समाधान करना असंभव हैं. जिस प्रकार doctor मरीज के बीमारी को पकडे बिना उसका इलाज नहीं कर सकता हैं. वही कंडीशन यहाँ भी अप्लाई होता हैं.

इस चरण में Programmer द्वारा की गई कोई भी जल्दबाजी उसे एक गलत Program बनाने की तरफ लेकर चला जाएगा. इसी कारण Programmer इस चरण के लिए उचित समय देते हैं. ताकि वे Problem (समस्या) से अच्छी तरह से अवगत हो जाए.

Program Planning (प्रोग्राम की रूप रेखा तैयार करना)

जिस प्रकार मकान बनाने से पहले उसकी रूपरेखा तैयार की जाती है यानी घर का नक्शा बनाया जाता हैं. ताकि बनाए गए नक्शे के आधार पर सफलतापूर्वक घर का निर्माण हो सके. ठीक उसी प्रकार Program लिखने से पहले उसकी रूपरेखा यानी Plan तैयार कर ली जाती हैं. Plan तैयार करने की प्रक्रिया को ही Program Planning कहते हैं.

Program Planning के अंतर्गत प्रोग्राम को Start करने से लेकर उसे End करने तक के स्टेप्स को एक क्रम में व्यवस्थित किया जाता हैं. यानी प्रोग्राम के सभी चरणों को स्टेप बाई स्टेप सजाया जाता हैं. क्यों की प्रोग्राम का लॉजिक तैयार करना बहुत जरूरी होता हैं.

यदि Program का Planning पहले से तैयार नहीं किया जाएगा. तो Program के लॉजिक में गड़बड़ी होने की संभावना काफी बढ़ जाती हैं. सभी निर्देश उचित क्रम में व्यवस्थित हो. इसके लिए पहले से Plan Ready करना बहुत जरूरी हैं. आइए Program Planning को एक उदाहरण से समझते हैं.

मान लीजिए Programmer को 3 अंको को जोड़ने के लिए Program लिखना हैं. तो प्रोग्रामर निम्न चरणों में Plan तैयार करेगा.

  1. तीन variable A, B और C में initial value set किया जाएगा.
  2. A, B और C के लिए input number ग्रहण किया जाएगा.
  3. A, B और C का योग किया जाएगा.
  4. योग को print किया जाएगा.

इस प्रकार Plan बनाकर जब Program लिखा जाएगा. तो कोई भी स्टेप्स छुटेगा नहीं और न ही किसी प्रकार का समस्या उत्पन्न होगी. प्रोग्राम का प्लान पहले से तैयार कर लेने से निम्नलिखित लाभ होते हैं.

  • पहले से ही पता चल जाता है की पूरा Process किस प्रकार आगे बढेगा और कार्य करेगा.
  • प्रोग्राम के जटिल भागो का पहले से ही पता चल जाता हैं.
  • प्रोग्राम के लॉजिक का Start से लेकर End तक का क्रम पता चल जाता हैं.
  • किसी चरण में कोई विशेष निर्णय लेना हो, तो वह आसानी से सामने आ जाती हैं.

इतना समझ लीजिए Program Planning प्रोग्राम की विकास प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण चरण हैं. Computer Program के logic को अनेक कड़ियों में बाट कर स्टेप बाई स्टेप लिखने के लिए अनेक तकनीक प्रचलित हैं. Program Plan बनाने के लिए कुछ प्रमुख तकनीकें निम्नलिखित हैं.

  • Algorithm (अल्गोरिथम)
  • Pseudo Code (स्यूडो कोड)
  • Flowchart (फ्लोचार्ट)
  • Decision Table (निर्णय तालिका)

इन तकनीकों में प्रथम दो तकनीक लिखित रूप में प्रोग्राम का logic दर्शाती हैं. वही लास्ट की दो तकनीक flowchart एवं decision table graphics द्वारा plan दर्शाती हैं.

Program Designing (प्रोग्राम का डिजाइन तैयार करना)

इस step में Program Planning के आधार पर Program की Design तैयार की जाती हैं. एक प्रोग्राम छोटा एवं सरल तथा बड़ा एवं जटिल भी हो सकता हैं. जिन्हें अनेक भागों (sub-program अथवा module) में बाट कर लिखा जाता हैं.

लेकिन बड़े programs को एक ही file में लिखना बहुत ही जटिल काम होता हैं. इस लिए उन्हें अनेक program files में लिखा जाता हैं. फिर बाद में इन program files को आपस में link कर दिया जाता हैं.

इतना समझ लीजिए यदि प्रोग्राम को सही तरह से Design कर दिया जाए. तो Coading की प्रक्रिया बहुत ही सरल हो जाती हैं. Programmer अपने क्लाइंट या अन्य व्यक्ति को समझाने के लिए Program Design को स्ट्रेक्चर चार्ट के रूप में बनाकर दिखाते हैं. प्रोग्राम को डिजाइन करने के लिए अनेक तकनीक प्रचलित हैं. उनमें से कुछ प्रमुख तकनीक निम्नलिखित हैं.

  • Modular design technique
  • Top-down design technique
  • Bottom-up design technique

Program Coding (प्रोग्राम लिखना यानी कोडिंग करना)

इस चरण में तैयार किए गए Design को Programming Language के प्रारूप में ढाला जाता हैं. Program को किसी भी Programming Language में लिखे जाने की प्रक्रिया “Coding” (कोडिंग) कहलाती हैं. प्रोगामिंग Language में लिखा गया कोई File अथवा Program “Code” कहलाता हैं.

जब एक बार पूरा Code लिख दिया जाता है. तो Programmer उसे Compile करके देखता हैं. ताकि Code में उपस्थित प्रोग्रामिंग भाषा की syntax तथा format सम्बन्धी गलतीयाँ दूर हो जाए. इसके अलावा प्रोग्राम में कोई logic error हैं. तो वह भी ठीक हो जाए. Code लिखने का process तब जाकर कम्पलीट होता हैं. जब पूरे Compile किए गए प्रोग्राम में ना कोई गलती हो और ना ही कोई Waning Message आए.

किसी भी प्रोग्राम के लिए अच्छा Code तभी लिखा जा सकता हैं. जब प्रोग्रामर को उस Programming Language का सटीक ज्ञान हो. जिस Language में प्रोग्राम लिखा जाना हैं. एक अच्छे Code में Integrity, Clarity, Simplicity, Efficiency, Generality जैसे गुण होते हैं.

Program Debugging (प्रोग्राम को डिबग करना)

इस चरण में Program की गलतियों को खोजकर उन्हें दूर किया जाता हैं. ताकि पूरा प्रोग्राम सभी प्रकार की त्रुटियों (Error) से मुक्त हो जाए. लेकिन आपके दिमाग में अब यह चल रहा होगा की Program में आने वाली गलतियाँ तो Compilation के दौरान ही ठीक हो जाती हैं. तो फिर Debugging में इसका क्या काम हैं. तो आपको बता दे की Error निम्न दो प्रकार की होती हैं.

  1. Syntactic or Compilation Error (सिन्टैक्टिक अथवा कम्पाइलेशन त्रुटि)
  2. Execution Error (एक्जीक्यूशन अथवा क्रियान्वन त्रुटि)

Syntactic or Compilation Error

किसी भी Program को Compile करते समय Compiler उस प्रोग्राम की Language, Statement की Syntax सम्बन्धित Error को Screen पर message के रूप में दिखा देता हैं. इन messages को Diagnostic messages कहा जाता हैं.

अच्छी बात यह है की इन messages के साथ error वाली line का number भी show होने लगता हैं. जिसके कारण Programmer बहुत ही आसानी से उस line पर जाकर, आ रही error को ठीक कर पाता हैं. इस प्रकार के error को Syntactic Error कहते हैं.

इतना समझ लीजिए जब तक program में एक भी Compilation Error शेष बचा हैं. वह प्रोग्राम क्रियान्वित नहीं हो सकता हैं. इसलिए Program को Run करने के लिए सभी प्रकार के Error को दूर करना अति आवश्यक हैं.

Execution Error

Compilation Error से मुक्त Program को execute करने के बाद भी कोई error शेष रह जाता हैं. तो उसे Execution Error कहा जाता हैं. कुछ Execution Error हमें Message द्वारा प्राप्त हो जाते हैं. जिन्हें Execution Message या Run Time Message भी कहते हैं. Debugging के स्टेप्स में इन्हीं Execution Error को ठीक कर Program को सफल Execution के लिए तैयार किया जाता हैं.

Program Testing (प्रोग्राम का परीक्षण करना)

इस स्टेप्स में हमें starting से ही सभी प्रकार से मुक्त Error free Program प्राप्त हो जाते हैं. एक Successful Run हो रहे Program प्राप्त होने का मतलब यह हुआ की अब Programmer का काम पूर्ण हो गया हैं. यानी Program ready हो गया हैं.

Program ready होने के बाद अब बारी आती हैं. उस Program की शत-प्रतिशत उपयोगिता सुनिश्चित करने की, यानी प्रोग्राम को Testing करने की. इस लिए Programmer इस चरण में Program को Tester को दे देता हैं. Tester भिन्न-भिन्न प्रकार के input डालकर program को test करता हैं. ताकि प्रोग्राम में यदि कोई कमी हैं, तो उसे बाहर निकाला जा सके.

Program में इन सभी गतिविधियों को चेक करने की प्रक्रिया Program Testing कहलाती हैं. इतना समझ लीजिए इस स्टेप्स का मुख्य उद्देश्य यह है की क्या बनाया गया program क्लाइंट की उन सभी जरूरतों को पूरा कर रहा हैं. जिसके लिए इस software यानी program को develop किया गया हैं.

यदि Testing के दौरान कोई Error प्राप्त होती हैं. तो उन्हें एक काग़ज पर लिखकर प्रोग्रामर को बता दी जाती हैं. Programmer पुनः उन code को चेक करता हैं और उनमें परिवर्तन कर उसे सही करता हैं. उसके बाद फिर से प्रोग्राम को Compiler, Debugging कर Testing करने वाले व्यक्ति या टीम को दे दिया जाता हैं. जब तक सन्तोष जनक परिणाम प्राप्त नहीं हो जाते हैं. तब तक coadding, debugging तथा testing चक्र को बार-बार दोहराया जाता हैं.

Program Documentation (प्रोग्राम का दस्तावेज बनाना)

Computer Program का Document इसलिए बनाया जाता हैं. ताकि Program से जुड़े सभी व्यक्तियों एवं भविष्य में जुड़ने वाले व्यक्तियों को उस प्रोग्राम के विषय में सम्पूर्ण जानकारी हो. Document बनाने से हमारा मतलब है की प्रोग्राम से सम्बन्धित उसके विकास की सभी जानकारियों को लिखित रूप में एक साथ रखना.

Program Document बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह है की कोई भी व्यक्ति Program का सम्पूर्ण history पता कर सकता हैं. जैसे की प्रोग्राम (software) किस उद्देश्य से बनाया गया है, प्लान कैसे तैयार किया गया, किस प्रकार design किया गया. प्रोग्राम में किस code का इस्तेमाल किया गया, क्या input प्राप्त होते है इत्यादि.

एक Software (प्रोग्राम) को तब तक Release नहीं किया जाता हैं. जब तक की उसकी Documentation प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती हैं. आपको बता दे की जब-जब प्रोग्राम में कोई change किए जाते हैं. उनके आधार पर Document में भी परिवर्तन किया जाता हैं.

Program Maintenance and Improvement (प्रोग्राम का रख-रखाव तथा सुधार)

एक कहावत है – परिवर्तन संसार का नियम हैं. यह कहावत Software Development पर भी सटीक लागू होता हैं. दरअसल समय के अनुसार client की आवश्यकताओं में भी परिवर्तन होते रहते हैं. कोई Program कितना ही अच्छा क्यों न लिखा गया हो. लेकिन समय बदलने के साथ आवश्यकताओं में परिवर्तन आते रहते हैं. जिसके कारण Program में सुधार करने की जरूरत पड़ती हैं.

समय के साथ जरूरत अनुसार प्रोग्राम में परिवर्तन एवं रख-रखाव की क्रिया Maintenance कहलाती हैं. Software के क्षेत्र में बहुत सारे ऐसे कारण होते हैं. जिसकी वजह से Program में सुधार करने की आवश्यकता होती हैं. उनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं.

  • Program में छुपी हुई Error का अचानक सामने आना.
  • User की आवश्यकताओं में कोई परिवर्तन आना.
  • Program को विस्तार करना.
  • New Hardware या Software Technology का आना.

इस प्रकार कंप्यूटर प्रोग्राम की विकाश प्रक्रिया पूरी होती हैं और एक सफल software का निर्माण कार्य पूरा होता हैं. Computer Programming Kya Hai? सॉफ्टवेर बनाने की पूरी प्रक्रिया से अब आप भली भाती परिचित हो गए होगे.

Flow Chart क्या होता है?

Flow Chart किसी भी process के विभिन्न स्टेप्स को चित्रों की मदद से प्रस्तुत करने की तकनीक हैं. Flow Chart की मदद से सम्पूर्ण program के process को बहुत ही आसानी से दर्शाया जा सकता हैं.

Flow Chart में Flow का मतलब हैं – “बहाव”. यह शब्द Program के Control के बहाव यानी Control Flow के लिए लिया गया हैं. Control Flow को Program की Execution दिशा भी कहा जाता हैं.

Flow Chart में Program के विभिन्न स्टेप्स को दर्शाने के लिए तथा उनके बीच कोई relationship अथवा क्रम दिखाने के लिए रेखा, आयत, वृत्त, वर्ग इत्यादि जैसे चिन्हों का इस्तेमाल किया जाता हैं.

कहते है न किसी बात को हजार शब्दों में बोलकर समझाने से कही ज्यादा सरल हैं उस बात को एक चित्र की मदद से समझा देना. इसी कारण Flow Chart Program document का महत्वपूर्ण अंग हैं.

Algorithm क्या हैं?

Algorithm तकनीक में program के logic या विधि को graphics में प्रदर्शित ना करके Sentences (वाक्य) में लिखा जाता हैं. किसी program की algorithm कुछ वाक्यों की एक श्रेणी के रूप में होती हैं.

सिंपल शब्दों में कहे तो Algorithm, प्रोग्राम का रूपरेखा यानी Plan तैयार करने का एक तकनीक हैं. इसमें Program की रूपरेखा को अनेक Sentences में क्रमबद्ध तरीके से लिखा जाता हैं.

Algorithm लिखने के लिए किसी भी सामान्य भाषा जैसे की hindi, english आदि का प्रयोग किया जाता हैं. Algorithm लिखते समय निम्न बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता हैं.

  • Algorithm का प्रत्येक Sentence एकदम स्पष्ट तथा अर्थपूर्ण होना चाहिए. ताकि उसे आसानी से समझा जा सके.
  • Algorithm का प्रत्येक Sentence में कोई न कोई कार्य करने का निर्देश दे रहा हो.
  • प्रत्येक Sentence में बताया गया कार्य एक निश्चित समय में complete हो जाना चाहिए. कहने का मतलब है की यदि वह कार्य काफी समय तक चलता रहेगा. तो program run होने में अधिक समय लगेगा.
  • कोई Sentence ऐसा नहीं होना चाहिए, जिसके एक से ज्यादा मतलब निकलते हो.
  • Algorithm में किसी भी तरह का कोई अर्थहीन Sentence नहीं होना चाहिए.
  • Algorithm के अंतिम sentence में दिए गए निर्देश मानने के बाद कंप्यूटर समस्या का समाधान मिल जाना चाहिए.

Programming कैसे सीखें?

अब आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा की Computer Programming Kya Hai? और Software बनाने की पूरी विकास प्रक्रिया क्या है? ऐसे में यदि आप भी Software बनाना चाहते हैं. तो आपको भी Programming सीखना होगा.

यदि आप Programming सीखना चाहते हैं. तो आपको Basic चीजों से Start करनी होगी. जैसे की C++, HTML, CSS इत्यादि. वर्तमान समय में आप दो तरह से Programming सिख सकते हैं. ऑफलाइन और ऑनलाइन.

आप किसी भी अच्छी कोचिंग सेंटर में जाकर Offline Programming सिख सकते हैं. लेकिन आपके पास यदि पैसे नहीं हैं. तो आप फ्री में Online Programming सिख सकते हैं. इसके अलावा आप कम पैसों में Paid Programming Plan लेकर भी प्रोग्रामिंग सिख सकते हैं.

Free Programming सिखाने वाली वेबसाइट

Paid Programming सिखाने वाली वेबसाइट

उम्मीद करते है की अब आप ने सिख लिया है की Computer Programming kya hai? सॉफ्टवेर बनाने की पूरी प्रक्रिया क्या हैं? यदि आपको यह जानकारी Computer Programming kya hai? पसंद आई हो. तो आप इस लेख को social media sites पर जरूर शेयर करें.

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