कम्प्यूटर का इतिहास एवं विकास की पूरी कहानी | History of computer in hindi

“आवश्यकता आविष्कार की जननी होती हैं.” यह कहावत कंप्यूटर के आविष्कार पर एक दम सटीक बैठता हैं. क्यों की मनुष्य द्वारा एक तीव्र व सटीक गणना करने वाली Device की निरंतर माँग व खोज ने ही Computer का आविष्कार संभव किया हैं. ऐसे में आप भी यह जानने को काफी उत्सुक होगे की कंप्यूटर का इतिहास (computer ka itihas) एवं विकास कैसे हुवा? History of computer in hindi.

वैसे तो कंप्यूटर की खोज और उसके सुधार का इतिहास 2500 वर्ष से भी पुराना हैं. लेकिन कंप्यूटर के आविष्कार ने आज पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया हैं. आज हर कोई Computer के बारे में जानना और समझना चाहता हैं. लेकिन 26 December 1791 को जन्मे Charles Babbage ने जब दुनिया का सबसे पहला कंप्यूटर “मैकेनिकल कंप्यूटर” का आविष्कार किया था. तब किसी ने भी यह नहीं सोचा था की आने वाले समय में Computer मानव जीवन का सबसे बड़ा आविष्कार बन जाएगा.

आधुनिक समय में एक से बढ़कर एक Hi-Tech Computer इस्तेमाल किए भी जा रहे हैं. आज विश्व के हर एक क्षेत्र में Computer का इस्तेमाल हो रहा हैं. फिल्म निर्माण, यातायात, अंतरिक्ष, व्यापार इत्यादि जैसे कई क्षेत्रों में कम्प्यूटर का उपयोग किया जा रहा हैं. तो चलिए कंप्यूटर का इतिहास एवं विकास, History of computer in hindi के बारे में विस्तृत रूप से जान लेते हैं.

History of computer in hindi – कंप्यूटर का इतिहास हिंदी में

History of computer in hindi

कंप्यूटर का नाम सुनते ही अकसर हमारे मन में यह सवाल आता है की कंप्यूटर का आविष्कार किसने और क्या सोच कर किया होगा? तो चलिए कम्प्यूटर के इतिहास एवं विकास (History of computer in hindi) को विस्सतार से समझने की कोशिश करते हैं.

Abacus (अबेकस)

सर्वप्रथम Abacus device का आविष्कार गणना करने के लिए लगभग 600 ईसा पूर्व चीन में हुआ था. अबेकस को Soroban (सोरोबान) के नाम से भी जाना जाता हैं. इस device की मदद से बिना copy, pen या calculator के गणितीय क्रियाओं को सरलता से हल किया जा सकता हैं.

abacus calculating machine hindi

अबेकस आयताकार फ्रेम में बना तारों का एक ढ़ाचा हैं. तथा उन तारों में गोल मोती पिरोयी रहती हैं. इन्हीं मोतियों की मदद से अंको को जोड़ने, घटाने, गुणा व भाग जैसी गणनाएँ की जाती हैं. गणना करने के लिए इन मोतियों, जिन्हें beeds भी कहते हैं. उन्हें तारों पर सरकाया जाता हैं.

John Napier’s Bone (जॉन नेपियर की हड्डी)

इस यंत्र का आविष्कार सत्रहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में किया गया था. नेपियर बॉन्स हड्डियों, हाथी के दांत या धातु से बनी छड़ें होती हैं. जिनके उपर नंबर लिखे होते हैं. इस यंत्र को card board multiplication calculator भी कहते हैं.

यह एक मैकेनिकल गणना करने वाली यंत्र हैं. इसका इस्तेमाल अंकों को गुणा और भाग करने के लिए होता हैं. नेपियर बॉन्स में अंकों को गुणन करने की बजाय अंकों को जोड़ की सहायता से गुणा किया जाता हैं.

John Napier एक महान mathematician और physician थे. उन्होंने गुणा-भाग करने के लिए इस यंत्र में 9 अलग-अलग तरह की अंक चिन्हित हड्डियों का इस्तेमाल किया। इस लिए यह गणना यंत्र नेपियर बोन्स (Napier Bones) के नाम से जाना जाता हैं.

इस यंत्र का उपयोग केवल गुना या भाग करने के लिए किया जाता हैं. यह मैनुअल कैलकुलेटिंग डिवाइस हैं. इसके विकसित स्वरूप का इस्तेमाल लगभग 1890 ई. तक किया गया.

Pascaline (पास्कलाइन)

सन 1942 में फ्रांस के Mathematician ब्लेज पास्कल (Blaise Pascal) ने एक यान्त्रिक गणना करने का यंत्र बनाया था. जिसे ‘Adding Machine’ कहा गया. यह मशीन सिर्फ जोड़ने व घटाने की गणना करता हैं.

यह मशीन घड़ी और ओडोमीटर के सिद्धान्त पर कार्य करता हैं. पास्कल द्वारा बनायी गयी इस युक्ति को ‘पास्कलाइन’ कहा गया. यह सबसे पहला ‘mechanical calculating machine’ था.

Reckoning Machine (रेक्कनिग)

जर्मन गणितज्ञ व दार्शनिक ‘बेरन गॉटफ्रेड विलहेल्म वॉन लेबनीज’ ने एक विकसित रूप तैयार किया. जो जोड़, घटाव के साथ साथ गुणा व भाग की भी क्रियाओं को प्रतिपादित कर सकता था. इस विकसित यंत्र को ‘Reckoning Machine’ कहा गया.

Jacquard’s Loom (जेकार्ड का लूम)

फ़्रांस के एक बुनकर जोसेफ जेकार्ड ने कपड़े बुनने के एक ऐसे Loom का आविष्कार किया था. जो कपड़ों की डिजाईन का पैटर्न स्वयं ही तैयार कर देता था. जिसका नियंत्रण कार्ड बोर्ड के छिद्रयुक्त पंचकार्डो (Punch Card) द्वारा किया जाता था.

जेकार्ड के इस लूम ने computer के विकास में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया. इससे दो विचारधाराएँ निकलकर सामने आयी.

  1. सुचना को Punch Card पर अंकित किया जा सकता हैं.
  2. Punch Card पर संग्रहित सूचना को निर्देशों का समूह माना जा सकता हैं. जो प्रोग्राम के रूप में कार्य करता हैं.

Difference Engine (डिफरेंस इंजन)

19th Century के प्रारम्भ में Cambridge विश्वविद्यालय के गणित के प्रोफ़ेसर Charles Babbage (चार्ल्स बैबेज) ने सन 1822 ई. में पास्कलाइन से प्रेरणा लेकर ‘Difference Engine’ नामक गणना करने वाली एक यान्त्रिक मशीन विकसित की, ताकि विश्वसनीय रिजल्ट प्राप्त की जा सकें.

Charles Babbage (चार्ल्स बैबेज)

सन 1822 ई. में चार्ल्स बैबेज ने एक शक्तिशाली मशीन की रूपरेखा तैयार की जिसका नाम Analytical Engine (एनालिटिकल इंजिन) रखा. यह machine पूर्णतया स्वचालित था तथा mathematics की आधारभूत क्रियाएँ successfully क्रियान्वित कर सकता था. इस यंत्र की speed 60 गणनाएँ प्रति मिनट तक थी.

यह यंत्र पंचकार्डो पर संग्रहित निर्देशों के समूह द्वारा निर्देशित होकर कार्य करती थी तथा इसमें निर्देशों को संग्रहित करने की क्षमता थी. इसके अलावा यह यंत्र स्वचालित रूप से परिणाम भी छाप सकती थी.

लेकिन दुर्भाग्य वश Charles Babbage ने इस मशीन की रूपरेखा के अनुरूप एक वास्तविक मशीन का निर्माण नहीं कर सके. लेकिन उनकी ही यह मशीन ‘Analytical Engine’ आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर का आधार बना. इसी कारण Charles Babbage को ‘कंप्यूटर का जनक’ (Father of Computer) माना जाता हैं.

एनालिटिकल इंजिन का क्रियाशीलता मॉडल

चार्ल्स बैबेज के बाद उनके सहयोगी Ada Agusta (एडा आगस्टा) ने इस कार्य को आगे बढाया और ‘Analytical Engine’ का क्रियाशील मॉडल तैयार कर दिया. जो स्वयं क्रियान्वित भी होता था. इसके लिए उन्हें निर्देश के समूह को संग्रहित करना पड़ा.

निर्देशों के समूह को संग्रहित करने की उनकी किया के कारण उन्हें ‘प्रथम प्रोफ़ेसर’ कहा गया. एडा आगस्टा अंगेजी के प्रसिद्ध कवि लार्ड बायरन की पुत्री थी.

Keyboard Machine (कुंजिपटल यंत्र)

सन् 1980 के आसपास संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में Keyboard Machine का विकास हुवा. इसमें आकडों व निर्देशों को देने के लिए Keyboard का प्रयोग किया जाता था. आज भी Keyboard का इस्तेमाल अत्यधिक प्रभावी रूप से हो रहा हैं.

Hollerith Census Tabulator (होलेरिथ सेंसस टैब्यूलेटर)

अमेरिका में सन् 1890 ई. में होने वाली जनगणना के कार्य को तीव्र गति से पूरा करने के लिए हर्मन होलेरिथ ने एक नई मशीन का निर्माण किया. जिसमें पंचकार्डो का इस्तेमाल किया गया. इस मशीन का नाम Hollerith Census Tabulator रखा गया.

होलेरिथ के इस मशीन की मदद से जनगणना का कार्य मात्र 3 वर्षों में पूरा कर हो गया. जब की सन् 1880 ई. में जनगणना का कार्य 7 वर्षों में पूरा हुआ था.

उसके बाद सन् 1896 ई. में हर्मन होलेरिथ ने ‘Tabulating Machine Company’ बनाई. आगे चलकर इस कंपनी का नाम बदलकर Computer Tabulating Recording Company हो गया.

पुनः सन् 1924 में इस company का नाम बदलकर IBM (International Business Machine) रखा गया. जो आज पूरे विश्व में computer manufacturing (निर्माण) करने वाली सबसे बड़ी कंपनी बन गयी हैं.

प्रारम्भ के कुछ प्रसिद्ध कंप्यूटरों के नाम

Mark-1 Computer (1937-44)

हावर्ड विश्वविद्यालय के Dr. Howard A. Aikin (डॉ. हावर्ड ए. एकिन) ने IBM के साथ मिलकर एक स्वचालित गणना करने वाली Machine को विकसित किया. जिसका आधिकारिक नाम Automatic Sequence Controlled Calculator रखा गया. लेकिन आगे चलकर इसका नाम मार्क-1 हो गया.

यह विश्व का पहला विद्युत यान्त्रिक कंप्यूटर था. क्यों की इसमें विद्युतीय व यान्त्रिक दोनों ही प्रकार के उपकरण लगे थे. यह कंप्यूटर आकार में अत्यधिक बड़ा और बनावट में काफी जटिल था. साथ ही यह लगभग 50 फुट लम्बा और 8 फुट ऊँचा भी था.

मार्क-1 कंप्यूटर में लगभग 3 हजार से भी ज्यादा विद्युत स्विच लगे थे. जिसकी मदद से जोड़, घटाव, गुणा, भाग इत्यादि की क्रियाएँ सम्पूर्ण होती थी.

First Electronic Computer – ABC

भौतिकी एवं गणित के प्रोफ़ेसर डॉ. जाँन एटानासॉफ ने अपने सहयोगी क्लिफार्ड-बैरी के साथ मिलकर प्रथम Electronic Computer बनाया. जिसका नाम ABC अर्थात Atanasoff Berry Computer रखा गया. इस कंप्यूटर का उपयोग एक साथ अनेक समीकरण का सामाधान करने के लिए किया गया.

ENIAC

ENIAC कंप्यूटर का पूरा नाम Electronic Numerical Integrator and Calculator हैं. इस कंप्यूटर का निर्माण सन् 1940 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की सेना के प्रयोग के लिए किया गया था.

यह एक विशाल कंप्यूटर था. इसमें 18 हजार Vaccum Tubes का इस्तेमाल किया गया. इस कंप्यूटर का इस्तेमाल संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की सेना में 1955 तक किया गया.

EDSAC

इस कंप्यूटर का पूरा नाम Electronic Delay Storage Automatic Calculator था. यह सबसे पहला संग्रहित प्रोग्राम कंप्यूटर था. यानी की इस कंप्यूटर पर पहली बार Program को Run किया गया था.

इसे सन् 1940 ई. में वाँन न्यूमैन के सिद्धांत के आधार पर प्रोफ़ेसर Morice Wilkes, जो की गणित प्रयोगशाला कैम्ब्रिज विश्वविधालय में थे. उन्होंने ने ही इसको विकसित किया था.

EDVAC

EDVAC का पूरा नाम Electronic Discrete Variable Automatic Computer हैं. सन् 1950 में वाँन न्यूमैन ने एडवैक का विकास किया. जिसमें अंकगणितीय क्रियाओं हेतु Binary अंक प्रणाली का प्रयोग किया तथा निर्देशों को भी Digital प्रारूप में संग्रहित किया गया.

Universal Automatic Computer (UNIVAC)

इस कंप्यूटर का विकास सन् 1946 से 1951 के मध्य Eckert एवं Mauchly ने अपनी संस्था में व्यापारिक अनुप्रयोगों हेतु किया था. लेकिन बहुत ही जल्द यह बेकार सिद्ध हो गया.

UNIVAC l

सन् 1954 में यूनिवैक में थोड़ा परिवर्तन कर यूनिवैक- l नामक कंप्यूटर को विकसित किया गया. जिसका व्यापारिक अनुप्रयोग सर्वप्रथम जनरल इलेक्ट्रॉनिक कंपनी ने किया. यह प्रथम व्यापारिक एवं वाणिज्य महत्व वाला कंप्यूटर था.

IBM 701 and IBM 650

इंटरनेशनल बिजिनेस मशीन (IBM) कंपनी के संस्थापक के छोटे पुत्र थॉमस वाटसन ने इस कंप्यूटर का निर्माण किया. IBM कंपनी ने सर्वप्रथम IBM 701 कंप्यूटर का निर्माण किया. फिर बाद में सन् 1955 में IBM 650 कंप्यूटर का विकास किया.

First Mini Computer

सन् 1965 में डिजिटल इक्विपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा प्रथम Mini Computer विकसित किया गया. DEC मिनी कंप्यूटरों की सर्वाधिक उत्पादन संस्था थी. ये छोटे, सस्ते व कम स्थान घेरने वाले computer थे.

Microprocessor (माइक्रोप्रोसेसर)

इस समय तक कंप्यूटर की central processing unit एक अत्याधिक सूक्ष्म व पतली पट्टिका के समान रूप में आ चुकी थी. अतः उसे अंग्रेजी के शब्द Chip नाम से संबोधित किया जाने लगा था.

माइक्रोप्रोसेसर का इतिहास

सबसे पहला माइक्रोप्रोसेसर चिप Intel 4004 सर्वप्रथम सन् 1969 में बनाया गया. इसे बनाने का आर्डर जापानी कंपनी बिजीकॉम ने Intel को दिया था. लेकिन यह मात्र कुछ instructions व limited data को प्रोसेस कर सकता था.

उसके बाद दूसरी पीढ़ी सन् 1971 में Intel 8008 chip का विकास हुआ. जो अत्यधिक शक्तिशाली processor था. इसी chip के कारण ही personal computer का विकास सम्भव हो पाया.

इसके बाद तीसरी पीढ़ी सन् 1978 में Intel ने 16 bit 8086 प्रोसेसर का विकास किया. इस माइक्रोप्रोसेसर में mini computer को 16 bit processor के साथ प्रदर्शित किया गया.

तीसरी पीढ़ी के बाद सन् 1990 में Intel ने i386 processor जारी किया. यह processor सबसे पहले i386 व्यावसायिक रूप से उपलब्ध 32-bit micro processor था. पहली बार एक समय में एक से अधिक program को run करना इसी micro processor ने संभव किया.

नोट : Processor की शक्ति GHz (गीगाहर्टज) पर depend करती हैं. जितना ज्यादा GHz (गीगाहर्टज) होगा. प्रोसेसर उतनी ही तेजी से गणना करेगा.

Personal Computer (पर्सनल कंप्यूटर)

सबसे पहला पर्सनल कंप्यूटर सन् 1974 में develop किया गया था. लेकिन सन् 1977 में पहला व सफल micro computer पी. सी. विकसित हुआ. इस कंप्यूटर को develop करने का श्रेय युवा तकनीशियन Steve Wozniak (स्टीव वोजनायक) को जाता हैं.

उन्होंने इस कंप्यूटर का नाम Apple-1 दिया. शुरुवात में Apple-1 के कुछ Computers मोटर गैराज में तैयार हुआ. लेकिन मात्र 3 महीने बाद ही वोजनायक Apple-11 नामक नए कंप्यूटर को विकसित करने में जुट गए.

सन् 1981 में IBM Company ने IBM-PC श्रृंखला के computers का उत्पादन शुरू किया. इन computers को उपभोक्ताओं ने भी खूब सराहा और पसंद किया.

Generation of Computer (कंप्यूटर की पीढ़ियाँ)

कंप्‍यूटर की पीढ़ि‍यों को जानने से पहले Computer Kya Hai? के विषय में आपको अच्छे से जान लेना चाहिए. ताकि आप computer की generations को और अच्छे से समझ सके.

Technological development के आधार पर computer system के विकास को 2 भागों में divided किया गया हैं. पहला Hardware और दूसरा Software हैं. Computer hardware तथा Software की पीढ़ियों को सारांश रूप में निम्न प्रकार से समझा जा सकता हैं.

क्रम.

पीढ़ीकालतकनीक

1.

प्रथम पीढ़ी1942-1955वैक्यूम ट्यूब

2.

द्वितीय पीढ़ी1955-1964ट्रांजिस्टर
3.तृतीय पीढ़ी1964-1975

IC (integrated Circuit)

4.चतुर्थ पीढ़ी1975-1990

VLSI

5.पंचम पीढ़ी1990-अब तक

ULSIC With AI

कंप्यूटर की पीढ़ियों के बारे में विस्तृत रूप से जानने के लिए आप हमारा यह लेख Generation of Computer in hindi को जरूर पढ़े. इस लेख की मदद से आप कंप्यूटर की पीढ़ियों का पूरा इतिहास जान जाएंगे.

FAQ:

भारत का पहला कंप्यूटर का नाम क्या था.

भारत में डेवलप्ड किए गए पहला कंप्यूटर का नाम सिद्धार्थ था. जिसे इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा डेवलप्ड किया गया था.

कंप्यूटर को हिंदी में क्या कहते है?

Computer को हिंदी में ‘संगणक’ कहते है. क्यों की कंप्यूटर से घंटों की गणना मात्र कुछ सेकंडो में कर सकते हैं.

आज हमने किया सीखा?

वास्तव में कंप्यूटर के आविष्कार ने आज पूरी दुनिया को बदलकर रख दिया हैं. इस पोस्ट में आपने History of Computer in Hindi व आविष्कार से सम्बंधित लगभग सारी बातों को जान लिया हैं. जो हर किसी को जानना बहुत ही महत्वपूर्ण हो सकता हैं.

उम्मीद करता हु आपको मेरी यह लेख कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer in Hindi) जरूर पसंद आयी होगी. आज के इस लेख में आपको कुछ न कुछ सीखने को जरूर मिला होगा.

Computer ka itihas aur vikas को लेकर आपके मन में अभी भी कोई सवाल या doubts हैं. तो आप हमें नाचे comment करके जरूर बताए. साथ ही आप यह लेख History of Computer in Hindi की जानकारी को अपने दोस्तों से साथ Social Networking Site पर शेयर जरूर करें. धन्यवाद!

3 thoughts on “कम्प्यूटर का इतिहास एवं विकास की पूरी कहानी | History of computer in hindi”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top