कीबोर्ड क्या हैं? (What is keyboard in hindi) – ‘की’ बोर्ड एक Input उपकरण हैं. इनमें बोर्ड के उपर Keys लगे होते हैं. उन Keys को Press करके Computer में Data डाला जाता हैं. एक डेस्कटॉप कंप्यूटर के Keyboard में 101 से लेकर 105 Keys लगे होते हैं.
वैसे ‘की’ बोर्ड के नाम से ही आप समझ पा रहे होगे की यह दो शब्दों Key और Board से मिल कर बना हैं. जिसका मतलब हुआ की एक Board के उपर लगे Keys और उन Keys पर अक्षर, नंबर और कुछ विशेष प्रकार के चिह्न अंकित किए होते हैं.
कंप्यूटर के लिए Keyboard एक बहुत ही महत्वपूर्ण Input Device हैं. क्यों की कीबोर्ड वह माध्यम है जिसकी मदद से कंप्यूटर में Data (Text, Numerical, Commands) Enter किया जाता हैं. इतना समझ लीजिए बिना ‘की’ बोर्ड के Computer को चलाने की कल्पना नहीं की जा सकती हैं.
यदि आप कीबोर्ड के विषय में विस्तार से जानना चाहते हैं. तो यह लेख आपको Keyboard Kya Hai? ‘की’ बोर्ड का परिचय, परिभाषा, आकर, प्रकार और कार्य को बहुत ही सरल शब्दों में विस्तारपूर्वक सिखाने वाली हैं. तो चलिए सिख लेते है की कीबोर्ड क्या हैं? (What is keyboard in hindi).
कीबोर्ड क्या हैं? What is Keyboard in hindi
‘की’ बोर्ड कंप्यूटर का अत्यन्त ही महत्वपूर्ण भाग (Input Device) हैं. इसके द्वारा मनुष्य अपनी बात कंप्यूटर को समझाता हैं. दरअसल Computer की CPU (केन्द्रीय प्रक्रिया इकाई) केवल इलेक्ट्रॉनिक संकेत ही समझती हैं. इस कारण कंप्यूटर उपयोगकर्ता अथवा प्रचालक Keyboard पर लगे Keys को दबाकर यानी Type करके अपना सन्देश CPU को पहुँचाता हैं.
कीबोर्ड हमें कंप्यूटर में टाइपिंग करने की क्षमता प्रदान करती हैं. ‘की’ बोर्ड की मदद से आप कंप्यूटर में Letters, Numbers या कोई भी Symbols टाइप करके लिख सकते हैं. इसके अलावा आप कीबोर्ड पर लगे Keys के कम्बीनेशन (Shortcut Keys) का प्रयोग करके अनेकों कार्यों को बहुत ही सरलता से कर सकते हैं. एक तरह से आप Keyboard द्वारा पूरे कंप्यूटर को ही कण्ट्रोल कर सकते हैं.
कीबोर्ड की परिभाषा हिंदी में (Definition of Keyboard in hindi)
Keyboard एक Typewriter के समान कुंजियों वाला उपकरण हैं. लेकिन इसमें कुंजियों की संख्या Typewriter से अधिक होती हैं. कीबोर्ड में सामान्यतः 101 Keys का प्रयोग किया जाता हैं. इन Keys की मदद से Computer को Instruction (निर्देश) दिया जाता हैं.
Keyboard की मदद से आप कंप्यूटर में कोई भी अक्षर, वाक्य, नंबर या कोई चिन्ह लिख सकते हैं. कीबोर्ड Computer के Hardware भाग का एक हिस्सा हैं. इसका Shape Rectangular (आयताकार) होता हैं. इसे आप देख और छू भी सकते हैं.
Keyboard meaning in hindi (कीबोर्ड का मतलब हिंदी में)
Keyboard को हिंदी में ‘कुंजीपटल’ कहा जाता हैं.
‘की’ बोर्ड का आविष्कारक (keyboard inventor)
Christopher Latham Sholes (क्रिस्टोफर लैथम शोलेज)
Keyboard Full Form (कीबोर्ड का फुल फॉर्म)
K – Keys
E – Electronic
Y – Yet
B – Board
O – Operating
A – A to Z
R – Response
D – Directly
कीबोर्ड को कंप्यूटर से कैसे जोड़े?
Keyboard को Computer से जोड़ने का काम निम्न कनेक्टर करते हैं.
- PS/2 कनेक्टर
- USB (यूनिवर्सल सीरियल बस) कनेक्टर
- वायरलेस माध्यम (ब्लूटूथ) द्वारा
‘की’ बोर्ड निर्माण सामग्री
‘की’ बोर्ड निर्माण सामग्री निम्न हैं.
(1) Memberane Type Key Boards (झिल्ली की प्रकार के ‘की’ बोर्ड)
इस श्रेणी के Keyboard सतत या निरन्तर व चपटी प्लास्टिक शीट के बने होते हैं. इसमें शब्द, चिन्ह व अंक साधारण Keyboard की भांति ही बने होते हैं. Plastic पर ‘Key’ के चिन्ह को प्रेस करने पर विद्युत संयोजन उत्पन्न हो जाता हैं. इस श्रेणी के Keyboard की लागत बहुत कम होती हैं. लेकिन इनका इस्तेमाल करना कठिन होता हैं.
दरअसल इस कीबोर्ड द्वारा चिन्ह पंजीकृत करने के लिए सही स्थान पर एक निश्चित दाब लगानी होती हैं. यदि आप गलत स्थान पर दाब लगाते हैं. तो चिन्ह पंजीकृत नहीं होंगे यानी चिन्ह उभरेंगे ही नहीं. इसी कारण इसका इस्तेमाल करना कठिन हो जाता हैं. इस लिए संचालक को बहुत ही सावधानीपूर्वक टाइप करनी होती हैं. Type धीरे-धीरे तथा सावधानीपूर्वक करने के पश्चात भी यह सुनिश्चित करना होता है की वह चिन्ह पंजीकृत हुआ है या नहीं.
(2) Rubber Key Boards (रबड़ के ‘की’ बोर्ड)
इस श्रेणी के Keyboard रबड़ पर दाब लगाकर उसे ‘Key’ की आकृति में बदल देता हैं. यह दिखने में Typewriter के ‘Key’ की भांति होती हैं. ऊपर से देखने पर प्रत्येक Key अलग-अलग दिखाई देते हैं. लेकिन नीचे तली पर ये सब आपस में जुड़े रहते हैं. Key प्रेस करने पर विद्युत संयोजन (Connection) उत्पन्न होता हैं.
इस कीबोर्ड की ‘Key’ यानी बटन के मध्य भाग पर एक निश्चित दाब लगाने की आवश्यकता होती हैं. इस प्रकार की ‘Key’ का इस्तेमाल भी धीरे-धीरे तथा सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए. संचालक के लिए यह कार्य बहुत ही कठिन हैं. रबड़ कीबोर्ड झिल्ली कीबोर्ड की अपेक्षा छोटे, लेकिन कुछ अच्छे होते हैं. यह कीबोर्ड थोड़े बहुत कार्य के लिए उपयुक्त हैं. लेकिन बड़े कार्यों के लिये उपयोगी नहीं हैं.
कीबोर्ड का आकार (Shape)
कुछ इलेक्ट्रॉनिक टाइप मशीनों की ‘Key’ का आकार रूढ़िगत (Conventional) टाइप मशीनों की ‘Key’ की अपेक्षा छोटा होता हैं. कभी-कभी तो वे इतने पास-पास लगे होते हैं की उनसे तेजी से टाइप करना कठिन हो जाता हैं. इस प्रकार के की बोर्ड से कार्य करना कठिन है. प्राय: कंप्यूटर की ‘Key’ निम्न तीन प्रकार की होती हैं.
- Flate Key (चपटी की)
- Convex Key (उत्तल की)
- Concave or Dished Key (अवतल या तस्तरी के आकार की ‘की’)
1. चपटी की (Flat Key)
चपटी आकार के ‘Key’ को तेजी से टाइप करते समय उसके मध्य भाग में दाब लगाना कठिन होता है. उनके किनारों पर दाब लगने से विद्युत संयोजन (Connection) उत्पन्न होना निश्चित नहीं होता हैं.
2. उत्तल की (Convex Keys)
Convex Keys अपने केन्द्र से दोनों ओर बाहर निकली हुई होती हैं. तेज गति से Type करते समय अंगुली उनसे फिसल सकती है तथा अंगुली को सही चिन्ह पर लगने की भी गारंटी नहीं होती हैं. जिस कारण इस प्रकार की ‘Key’ टाइप करने के लिए असुविधाजनक होती हैं.
3. अवतल अथवा तस्तरी के आकार की ‘की’ (Concave or Dished Shaped Keys)
अवतल ‘Key’ सर्वोत्तम हैं. यदि इनका आकार बड़ा भी हैं. तो भी इनके मुकाबले की कोई भी ‘Key’ नहीं हो सकती हैं. इस श्रेणी की ‘Key’ बीच में तस्तरी की भांति दबी हुई होती हैं. इनके बीच में दबे होने के कारण उनके मध्य में दाब लगाना तथा सही ‘की’ को ढूंढ़ना सरल हो जाता हैं. यदि इनके किनारों पर दाब लग भी जाए. तो वह स्वतः ही अंगुली को मध्य भाग में ले आएगा तथा दाब मध्य भाग में सही स्थान पर ही लगेगा.
Classification of Keys and Their Functions (‘की’ का वर्गीकरण व उनके कार्य)
किसी Computer के कीबोर्ड की ‘Key’ उनके कार्यों के अनुसार निम्न पाँच श्रेणियों में वर्गीकृत की जा सकती हैं.
- Character Keys (चिन्ह ‘की’)
- Programmed Function Key (पूर्वयोजित कार्य ‘की’)
- Programmable Function Key (प्रोग्राम बनाने योग्य ‘की’)
- Cursor Control Key (कर्सर नियंत्रण ‘की’)
- Numeric Key (आंकिकी ‘की’)
1. Character Keys (चिन्ह ‘की’)
इस श्रेणी की Keys साधारण Type Machine की Keys जैसी ही होती हैं. इन Keys पर वर्णमाला, संख्या सूचक, विराम चिन्ह (Punctuations) शब्दों के बीच के अन्तराल व स्थान छोड़ने तथा अन्य विशेष प्रकार के चिन्ह अंकित होते हैं. कुछ अन्य Keyboard पर Dollar इत्यादि के चिन्ह भी बने होते हैं.
इसके अलावा कुछ Computers में केवल ऊपर केस के अक्षर ही टाइप हो सकते हैं, निचले केस के अक्षर नहीं. वास्तव में ‘Key’ ऐसी होनी चाहिए की उससे दोनों प्रकार के शब्द टाइप हो सकें. Users अपनी आवश्यकतानुसार की Model का चयन कर सकता हैं.
2. Programmed Function Key (पूर्वयोजित कार्य ‘की’)
इस श्रेणी के Keyboard में क्रिया अथवा Function Keys होती हैं. जिनकी सहायता से केवल एक ‘Key’ दबाने से बहुत से कार्य स्वतः ही किए जा सकते हैं. साधारण Key द्वारा इस प्रकार के कार्य करना कठिन होता हैं तथा इससे समय भी बहुत अधिक लगता हैं. इस प्रकार की Keys कंप्यूटर को कुछ कार्य कार्यान्वित करने के लिए स्वतः ही निर्देश देती हैं.
Computer Keyboard में दो प्रकार की Function (कार्य सम्पादन) ‘Key’ हो सकती हैं.
1. Programmed Function Keys (पूर्वयोजित कार्य सम्पादन ‘की’)
2. Programmable Keys (प्रोग्राम बनाने योग्य ‘की’)
पूर्व नियोजित कार्य सम्पादन ‘की’
इस प्रकार की Keys का कार्य पूर्व निर्धारित होता है तथा कार्य अथवा Function प्राय: ‘Key’ के ऊपर अंकित होते हैं. जैसे टेब हटाओ, टेब लगाओ, अपने पूर्व स्थान पर जाओ. हटा देने वाली (Delete) ‘Key’ का उपयोग Screen पर छपे गलत चिन्ह अथवा करेक्टर को हटाने के लिए किया जाता हैं.
Home Key (‘होम की’)
इसका उपयोग Cursor को अपने प्रारम्भिक स्थान यानी जहाँ से Cursor आरंभ हुआ था. उसी स्थान पर वापस जाने के लिए किया जाता हैं. ये ‘Keys’ कठिन, समय लगने वाले तथा बार-बार दोहराए जाने वाले कार्यों को समाप्त कर देती हैं. जिससे Users का कार्य सरल हो जाता है तथा समय की भी बचत होती हैं. इन Keys की सहायता से Computer का उपयोग करना सरल हो जाता हैं.
Keyboard में जितनी अधिक ‘Function Key’ होंगी कार्य स्वतः उतना ही अधिक किया जा सकेगा. अतः किसी Keyboard का महत्व Keys की संख्या, फंक्शन सम्पादन करने की क्षमता व उनकी किस्म पर निर्भर करता हैं.
3. Programmable Function Key (प्रोग्राम बनाने योग्य ‘की’)
Computer Keyboard व आधुनिक Type Machine के Keyboard में मुख्य अन्तर Function Keys का ही हैं. टाइप मशीन में लगी Function Keys से वही कार्य किया जा सकता हैं. जिस कार्य के लिए उन्हें निर्माणकर्ताओं द्वारा बनाया गया हैं.
इसी प्रकार Computer ‘Key’ Board में भी कुछ कार्यात्मक Key होती हैं. जिन्हें पूर्वयोजित (Programnmed) ‘Key’ कहा जाता हैं. इनका कार्य कभी नहीं बदलता लेकिन Computer ‘Key’ Board में पूर्वयोजित कीज के साथ-साथ कुछ कार्य सम्पादन (Function) ‘Key’ भी होते हैं. जिन्हें प्रोग्राम बनाने योग्य (Programmable) ‘Key’ कहा जाता हैं. इन Keys का कार्य Software के प्रयोग अनुसार बदल जाता हैं.
उदाहरण के लिए यदि किसी Program में Print निर्देश का उपयोग बार-बार करना पड़े. तो Program बनाने वाली ‘Key’ अथवा प्रोग्रामबिल ‘Key’ (PI) के उसके उपयोग के अनुसार Print ‘Key’ का कार्य नियत किया जा सकता हैं. इस प्रकार ‘Key’ PI को दबाने पर Computer को Print करने के संकेत मिल जाएंगे.
इसी प्रकार इन Keys का कार्य अथवा Function निर्माताओं द्वार पूर्व निर्धारित नहीं किया जाता हैं. बल्कि Software के उपयोग अनुसार निर्धारित किया जाता हैं. उदाहरण के लिए किसी ‘Key’ का उपयोग किसी Package में किसी शब्द को हटाने के लिए किया जा सकता हैं. लेकिन Processing Package में उसी ‘Key’ का उपयोग Telephone का Number दोबारा Dial करने के लिए किया जा सकता हैं.
कुछ Computers में Users द्वारा Keys के Function निर्धारित करने की सुविधा होती हैं. उदाहरण के लिए आप किसी Function ‘Key’ को Print करने के लिए निर्धारित कर सकते हैं. प्रत्येक बार उस ‘Key’ को प्रेस करने पर पूर्ण Program Computer द्वारा Print हो जाएगा.
सूक्ष्म कंप्यूटरों में क्रमशः 10 Programmable Function ‘Key’ होती हैं. इनमें से प्रत्येक ‘Key’ का उपयोग Users बार-बार होने वाली क्रियाओं के अनुसार निर्धारित करता हैं. जिससे किसी ‘Key’ विशेष को बार-बार दबाने में नष्ट होने वाले मय को बचाया जा सकता हैं.
4. Cursor Control Key (कर्सर नियंत्रण ‘की’)
अधिकांश Computers की Keys का मुख्य लक्षण Cursor Control Key हैं. इनकी सहायता से Users Screen पर Cursor को इधर से उधर घुमा सकते हैं. किन्हीं Computers में ये Keys नहीं होती हैं. इस श्रेणी के Computers में Cursor को Screen पर घुमाने का कार्य नियंत्रण ‘Key’ व कुछ अन्य Keys को एक साथ दबाकर किया जाता हैं.
‘Key’ Board पर Keys उचित स्थान पर लगाई जानी चाहिए. क्योंकि इनका काफी उपयोग होता हैं. उपयोग में सरलता की दृष्टि से इन्हें Users के दाहिनी ओर लगाना सर्वोत्तम होता हैं. कुछ Keyboard में ये Keys आंकिक Key Pad में लगाई जाती हैं. जिससे ये संख्यात्मक व Cursor Keys दोनों का कार्य करते हैं.
इन Keys की मदद से आप क्या कार्य लेना चाहते हैं. इसका चयन आप स्विच को दबाकर कर सकते हैं. अंकित प्रकार की Keys, Data प्रवेश करने की अनुमति देती हैं तथा Cursor Control Key कर्सर के इधर से उधर घूमने की अनुमति देती हैं. कुछ Computers में दो Cursor Control ‘Key’ होती हैं. इनमें से एक ‘Key’ का उपयोग Cursor को ऊपर नीचे तथा दूसरे Cursor का उपयोग कर्सर को दाए-बाए सरकाने के लिए किया जाता है.
सबसे अच्छा और सर्वोत्तम Keyboard वह होता हैं. जिसमें Cursor की गति के लिए चार ‘Key’ लगी हों. जिनकी सहायता से एक बार ही ‘Key’ दबाकर Cursor को वांछित स्थिति में लाया जा सके.
5. Numeric Key (आंकिकी ‘की’)
Keyboard में मूल Keys के साथ-साथ Numeric Key भी लगे होते हैं. इनमें Users के दांई ओर 0 से 9 अंक तक गणक की भाँति एक साथ की में लगाए जाते हैं. इससे एक साथ ही काफी Data Computer में सरलता से Store किया जा सकता हैं.
इस प्रावधान से Users को अपनी अंगुलियों को कम मोड़ना पड़ेगा तथा उनकी गति भी कम होगी. इस व्यवस्था से साधारण Type Machine की भाँति लगी Keyboard की अपेक्षा Computer में Data Store करने में काफी समय बचाया जा सकता हैं.
कीबोर्ड के प्रकार – Types of Keyboard in Hindi
आज कई प्रकार के Keyboard Layouts उपलब्ध हैं. जिसे Region और Language के अनुसार Manufacture किया जाता हैं. आप उन सभी कीबोर्ड टाइप के विषय में जानने वाले हैं.
QWERTY
QWERTY कीबोर्ड सबसे आम Layout हैं. इसका इस्तेमाल दुनिया भर में सबसे ज्यादा किया जाता हैं. इसमें पहले 6 Letters (अक्षर) Q,W,E,R,T,Y से शुरू होते हैं. जिसे आप अल्फाबेट के पहले वाले लाइन पर देख सकते हैं.
इस लेआउट का इस्तेमाल लगभग सभी देशों में किया जाता हैं. इसका इस्तेमाल इतना ज्यादा होता है की लोगों की यह धारणा बन गई हैं की बस यही एक ही प्रकार की कीबोर्ड होती हैं. इतना ही नहीं आप अपने स्मार्टफोन और टेबलेट में भी इसी QWERTY कीबोर्ड का ही इस्तेमाल करते हैं.
AZERTY
इस प्रकार के कीबोर्ड का Layout France में Develop किया गया हैं. इसे Standard French Keyboard भी माना जाता हैं. AZERTY Keyboard में Q और W Keys को A और Z Keys के साथ इंटरचेंज किया गया हैं.
यह कीबोर्ड मुख्य रूप से France और यूरोप महाद्वीप के कुछ देशों में ही इस्तेमाल किया जाता हैं. आज बाजार में Azerty कीबोर्ड के कई मॉडल उपलब्ध हैं.
DVORAK
इस प्रकार के कीबोर्ड का Layout ऐसा बनाया गया है की Finger के Movement को कम किया जा सकें. यह कीबोर्ड QWERTY और AZERTY कीबोर्ड की तुलना में ज्यादा और जल्दी से फ़ास्ट टाइप किया जा सकता हैं.
इस प्रकार के कीबोर्ड में सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाले अक्षर को बिच लाइन में सबसे ज्यादा उपयोग किया गया हैं. जैसे की ज्यादा इस्तेमाल होने वाले ‘E’ अक्षर को Centre में रखा गया हैं.
‘की’ बोर्ड में कीज की संख्या (Number of Keys in Keyboard)
Keyboard में Keys की संख्या मॉडल के अनुसार बदलती रहती हैं. कुछ मॉडलों में केवल 60 Keys होते हैं. जबकि अन्य मॉडलों में 100 से अधिक Keys लगे होती हैं. ‘Key’ बोर्ड में जितनी अधिक Keys की संख्या होगी. उसकी सहायता से एक साथ उतने ही अधिक Function किए जा सकते हैं. अतः Keys की अधिक संख्या Users के लिए उपयोगी होते हैं.
‘की’ बोर्ड का विन्यास (Layout)
Computer के Keyboard का मध्य भाग साधारण Type Machine के Keyboard की भांति ही होती हैं. जिसे ओबर्टी (OWERTY) कहा जाता हैं. इसमें अक्षर, संख्या, अन्तराल व डिलीट कीज आदि का प्रावधान होता हैं. ये मानक कीज चालक के समीप होती हैं. जिससे उनका उपयोग सरलता से किया जा सकता हैं. Keyboard के दाएं अथवा बाएं छोर पर विशिष्ट कार्यों के लिए ‘Key’ लगे होते हैं.
कभी-कभी इन Keys का उपयोग अकेले ही तथा कभी-कभी अन्य Keys के साथ किया जाता हैं. Computer Keys का यह विन्यास इस कारण रखा गया हैं. जिससे यदि चालक या यूजर्स को टाइप करनी हैं. तो उसे Computer ‘Key’ के उपयोग में कठिनाई न हो. लेकिन Computer के मॉडल के अनुसार Keys का विन्यास काफी बदल जाता हैं.
Function Keys को उनके उपयोग के अनुसार सरलता से ग्रुप किया जा सकता हैं. बार-बार उपयोग में आने वाली Keys का उपयोगकर्ता की सरलता से पहुंच में रखा जाता हैं. विशिष्ट Keys का Keyboard पर स्थान बहुत महत्वपूर्ण हैं. अतः डिलीट, कर्सर कीज आदि जिनका उपयोग बार-बार करना होता हैं. उनकी स्थिति ऐसी होनी चाहिए की उन्हें सरलता से ढूंढकर उनका उपयोग किया जा सके.
ड्रास्टिक अथवा उग्र कीज़ (Drastic Keys in hindi)
Keyboard पर Keys का कार्य अथवा Function उपयोग किए जाने वाले Application Program पर निर्भर करता है तथा विभिन्न Program के लिए विभिन्न होता हैं. Keyboard पर कुछ ऐसी Keys भी होती हैं. जिन पर यदि गलती से अंगुली पड़ जाए. तो समस्त Data नष्ट हो जाता हैं. इस प्रकार की कीज उग्र कीज कहलाती हैं.
नियंत्रण कीज प्रायः अन्य Keys के साथ उपयोग की जाती हैं. कभी-कभी गलत नियंत्रण ‘Key’ दब जाने से भयंकर हानि हो सकती हैं. जैसे की पूरा डाटा मिट जाता हैं. जिसे ठीक करना असंभव हो जाता हैं. अतः नियंत्रण कीज अन्य कीज से Clearly Distinguished होनी चाहिए तथा उन पर चिन्ह अथवा लेबल लगे होने चाहिए. इनका विन्यास भी ऐसा होना चाहिए की उनपर सरलता से पहुंचा ना जा सके. जिससे गलती से उनपर अंगुली पड़ने की संभावना कम हो जाए. तोड़ो, साफ करो, दोबारा ढूंढो आदि कीज ड्रास्टिक या उग्र कीज कहलाती हैं.
‘की’ का दोहराना (Repeat)
Micro Computer के Keyboard पर प्रायः उनको दबाने पर दोहराने का कार्य करने वाली ‘Key’ होती हैं. यदि किसी ‘Key’ पर कुछ विराम (Pause) के पश्चात अंगुली रखी जाए. तो वह ‘Key’ किसी चिन्ह अथवा अक्षर (Character) के संकेत दोहराती रहेगी.
सामान्यतः दोहराने की संख्या कुछ समय पश्चात बहुत बढ़ जाती हैं. Cursor ‘Key’ पर दोहराने की क्रिया बहुत लाभदायक हैं. क्योंकि किसी पाठ या मजबून को टाइप करते समय Cursor को इधर से उधर काफी सरकाने की आवश्यकता होती हैं. किन्हीं ‘Key’ बोर्ड में सरकाने या दोहराने के लक्षण या फीचर बहुत कम होते हैं. जबकि कुछ में बहुत अधिक होते हैं. प्रायः समस्त Keys में ये फीचर होते हैं.
अधिकतम Keys में दोहराने के लक्षण या फीचर होना उपयोगी होता हैं. लेकिन Computer का उपयोग करते समय Users को सावधान रहना चाहिए. ताकि गलती से अवांच्छित ‘की’ पर अंगुली न पड़ जाए. अन्यथा ‘Key’ अवांच्छित चिन्ह अथवा अक्षरों को Print करती रहेगी. इस दोष को दूर करने के लिए उन समस्त Keyboard में दोहराने वाले फीचर होते हैं. ऐसा प्रबन्ध किया जाता है की प्रथम करेक्टर के टाइप करने व दोहराने की क्रिया में काफी अन्तराल हो. यदि आपने इस अवधि में Key दबाए रखी हैं. तो दोहराने की क्रिया प्रारंभ नहीं होगी. इस अन्तराल की सीमा से अधिक समय तक ‘Key’ को दबाने पर दोहराने की क्रिया प्रारंभ हो जाएगी.
स्पर्श (Feel)
Computer के विभिन्न मॉडलों में ‘Key’ का स्पर्श विभिन्न होता हैं. Computer की ‘Keyboard’ पर टाइप करने के लिए साधारण Type Machine के ‘Key’ बोर्ड की भांति उन्हें दृढ़ता से स्पर्श करने के आवश्यकता नहीं होती हैं. Computer की ‘Key’ दबाने पर वह विद्युत संकेत भेजती हैं. जिसके कारण यदि Computer Video से जुड़ा हैं. तो Screen पर एक करेक्टर प्रदर्शित हो जाएगा.
Computer की ‘Key’ दबाने पर एक प्रतिपुष्टि स्पर्श (Tactile feedback) अनुभव होता हैं. यानी प्रत्येक बार ‘Key’ दबाने पर एक दृढ़ खटके या क्लिक की ध्वनि सुनाई देती हैं.
Keyboard काम कैसे करता है?
कीबोर्ड Computer का एक बहुत ही खास हार्डवेयर उपकरण हैं. इसका मुख्य काम कंप्यूटर में Text लिखने के लिए होता हैं. कीबोर्ड में अपना खुद का Processor और Circuit लगा होता हैं. Circuit कीबोर्ड के पूरे Keys से मिलकर एक जालीदार Circuit बनाते हैं. जिसे Key Matrix कहा जाता हैं. इसकी मदद से यूज़र द्वारा प्रेस किए गए Keys का सिगनल कीबोर्ड के Processor तक पहुंचता हैं.
प्रत्येक Keys के नीचे एक सर्किट टूटे हुए अवस्था में होती हैं और वहाँ एक Switch भी लगा होता हैं. जब आप कोई Key दबाते हैं. तो नीचे लगा Switch उस Circuit को पूरा करता है और Circuit में हल्का सा विधुत का बहाव होता हैं. जिसके कारण उसमें Vibration (झनझनाहट) पैदा होती हैं.
जब Keyboard Processor को एक पूर्ण Circuit मिल जाता हैं. तो कंप्यूटर में लगे ROM में एक Character Chart बनता हैं और वह कंप्यूटर के प्रोसेसर को सिगनल देता है की कौन सा बटन प्रेस किया गया हैं. इस तरह Computer Keyboard काम करता हैं.
Keyboard के कार्य (Functions of Keyboard in Hindi)
Keyboard एक Peripheral Input Device हैं. कीबोर्ड की मदद से Computer में Data Input किया जाता हैं. जैसे की कंप्यूटर में किसी Document पर शब्द, नंबर या सिंबल लिखने के लिए, Calculation करने के लिए इत्यादि.
इसके अलावा कीबोर्ड Mouse का भी काम करता हैं. जैसे की Cursor को ऊपर, नीचे, दाएं, बाएं करने के लिए किया जाता हैं. कुछ कार्यों को तेज़ी से पूर्ण करने के लिए कीबोर्ड शॉर्टकट का प्रयोग किया जाता हैं. कीबोर्ड के कुछ महत्वपूर्ण Shortcut keys निम्नलिखित हैं.
Shortcut keys of Keyboard in Hindi
Ctrl + A | पेज के सारे Content को सेलेक्ट करने के लिए |
Ctrl + C | सेलेक्ट किए Content को Copy करने के लिए |
Ctrl + X | सेलेक्ट किए गए Content को हटाने यानी Cut करने के लिए |
Ctrl + V | Copy या Cut किए गए Content को Paste करने के लिए |
Ctrl + Y | पिछले किए गए Action को दोहराने के लिए |
Ctrl + Z | आपके द्वारा किए गए अंतिम क्रिया को उलटने (Undo) के लिए |
Ctrl + U | सेलेक्ट किए गए Content को Underline करने के लिए |
Ctrl + F | खुले डॉक्यूमेंट पर Find Box को Open करने के लिए |
Ctrl + I | सेलेक्ट किए गए Content को italics फॉण्ट में बदलने के लिए |
Ctrl + N | खुले हुए सॉफ्टवेयर में New Blank Document ओपन करने के लिए |
Ctrl + O | New File Open करने के लिए |
Ctrl + P | खुले हुए Document के Page को Print करने के लिए |
Ctrl + S | Document को Save करने के लिए |
Ctrl + End | खुले हुए Document के अंत (End) में पंहुचने के लिए |
Ctrl + Home | खुले हुए Document की शुरुआत (Beginning) में जाने के लिए |
Alt + E | Open Program में Edit Menu के विकल्प को खोलने के लिए |
Alt + F | Open Program में File Menu के विकल्प को खोलने के लिए |
Alt + Tab | खुली हुई विभिन्न Applications या Program को स्विच करने के लिए |
Alt + F4 | Open किए हुए Program को बंद (Close) करने के लिए |
Shift + Home | Cursor की वर्तमान लाइन को शुरुआत तक Highlight करने के लिए |
Shift + End | Cursor की वर्तमान लाइन को अंत तक Highlight करने के लिए |
Ctrl + Shift + Esc | कंप्यूटर विन्डो के Task Manager को Open करने के लिए |
Function Keys के कार्य
कीबोर्ड के सबसे उपर F1 से F12 Keys दिए रहते हैं. ये कीज स्पेशल फंक्शन को पूरा करते हैं. लेकिन इनका कार्य एप्लीकेशन के हिसाब से बदलता रहता हैं. आइए इन फंक्शन कीज के कार्य को जान लेते हैं.
F1 | किसी प्रोग्राम में सहायता (Help) प्राप्त करने के लिए |
F2 | सेलेक्ट किए गए फाइल या फोल्डर को Rename करने के लिए |
F3 | File Explorer या Browser में किसी आइटम के सर्च हेतु सर्च बार को एक्टिव करने के लिए |
F4 | किसी Window को बंद करने के लिए Alt + F4 Keys को एक साथ प्रेस करें. |
F5 | कंप्यूटर को Refersh करने के लिए |
F6 | एप्लीकेशन या ब्राउज़र के Address Bar में जाने के लिए |
F7 | माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में स्पेलिंग चेक करने के लिए |
F8 | MS Word में टेक्स्ट को सिलेक्ट करने के लिए |
F9 | MS Outlook में E-मेल भेजने या रिसीव करने तथा MS Word डॉक्यूमेंट को रिफ्रेश के लिए |
F10 | Shift के साथ F10 दबाने पर यह Mouse के राइट क्लिक का काम करता हैं. |
F11 | Internet Browser को Full Screen View में देखने के लिए |
F12 | माइक्रोसॉफ्ट वर्ड में Savs As का ऑप्शन खुल जाता हैं. |
Cursor Control Key के कार्य
Left Arrow | कर्सर को बाई (Left) ओर ले जाने के लिए |
Right Arrow | कर्सर को दाई (Right) ओर ले जाने के लिए |
Up Arrow | कर्सर को उपर (Up) की ओर ले जाने के लिए |
Down Arrow | कर्सर को नीचे (Down) ओर ले जाने के लिए |
Home | कर्सर को लाइन के शुरु (Sarting) में ले जाने के लिए |
End | कर्सर को लाइन के अंत (End) में ले जाने के लिए |
Page Up | कर्सर को एक पेज उपर (Up) Previous पेज पर ले जाने के लिए |
Page Down | कर्सर को Next (अगले) पेज पर ले जाने के लिए |
Insert Key | Insert mode को On तथा Off करने के लिए |
Control Keys के कार्य
Esc Key | वर्तमान में चल रहे किसी भी task को cancel करने के लिए |
Ctrl Key | Control Key का उपयोग कीबोर्ड Shortcuts के लिए किया जाता हैं |
Alt Key | Alter Key का उपयोग भी कीबोर्ड Shortcuts के लिए किया जाता हैं |
Window Key | Start Menu को Open करने के लिए |
PrtScr Key | कंप्यूटर Screen की Image (फ़ोटो) लेने के लिए |
Space Bar | Text के बीच में जगह (Space) देने के लिए |
Wireless Keyboard क्या होता हैं?
पहले के साधारणतः कीबोर्ड को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए Wire (Cable) का प्रयोग किया जाता हैं. लेकिन आज के आधुनिक टेक्नोलॉजी में Keyboard बिना Wire के ही कंप्यूटर से जुड़ जाते हैं. बिना Cable वाले कीबोर्ड को Wireless Keyboard कहा जाता हैं. इस प्रकार के कीबोर्ड Bluetooth, IR Technology या Radio Frequency के माध्यम से कंप्यूटर से Connect होते हैं. लेकिन यह साधारणतः कीबोर्ड के मुकाबले काफी महँगे होते हैं.
इसके अलावा आपको Ergonomic Keyboard के बारे में भी पता होनी चाहिए. दरअसल Ergonomic कीबोर्ड विशेष प्रकार से डिज़ाइन किया हुआ कीबोर्ड हैं. ऐसे कीबोर्ड को इस तरह डिज़ाइन किया जाता है की Typing करने में आसानी हो. ताकि कितना भी Typing किया जाए हाथ की अंगुली में दर्द ना हो.
प्रश्नावली (Keyboard in hindi)
प्रश्न– कीबोर्ड के बटन को क्या कहते हैं?
उत्तर- कीबोर्ड के बटन को Key या कुंजी कहा जाता हैं.
प्रश्न – कीबोर्ड को हिंदी में क्या कहा जाता है?
उत्तर- हिंदी में कीबोर्ड को कुंजीपटल कहा जाता हैं.
प्रश्न– Ctrl, Shift और Alt कीज को क्या जाता हैं?
उत्तर- इन तीनों कीस को मोडिफायर कीस कहा जाता हैं.
प्रश्न– कीबोर्ड की सबसे लम्बी ‘की’ कौन हैं?
उत्तर- कीबोर्ड की सबसे लम्बी की Space Bar हैं.
प्रश्न– कीबोर्ड कौन सा डिवाइस हैं?
उत्तर- कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस हैं.
प्रश्न– कीबोर्ड में कितने नंबर कीज होते हैं?
उत्तर- कीबोर्ड में 10 नंबर कीज (0 से 9 तक) होते हैं.
प्रश्न– कीबोर्ड का आविष्कार कब हुआ?
उत्तर- कीबोर्ड का आविष्कार 1868 में क्रिस्टोफर लैथम शोलेज द्वारा किया गया था.
उम्मीद करते है Keyboard क्या है? की पूरी जानकारी आपको अच्छे से समझ में आ गया होगा. अब आप ‘की’ बोर्ड का परिचय, परिभाषा, आकर, प्रकार और कार्य से भलीभांति परिचित हो गए होगे. यदि आपको यह जानकारी “Keyboard in hindi” पसंद आया हैं. तो आप इस लेख को सोशल मीडिया साइट्स पर शेयर जरूर करें.
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