कम्प्यूटर नेटवर्क क्या हैं? | Computer Network in Hindi

आज हम कम्प्यूटर नेटवर्क क्या हैं? (Computer Network in Hindi) की पूरी विस्तृत ज्ञान प्राप्त करने वाले हैं. ऐसा कहा जाता है की आंकड़े तथा सूचनाएं किसी भी संगठन के लिए अति आवश्यक तत्व हैं. बिना आंकड़ों तथा सूचनाओं के कोई भी संगठन अच्छे से कार्य नहीं कर सकता हैं. लेकिन किसी भी आकड़े तथा सूचनाओं का महत्व तभी हैं. जब वह सही समय, सही स्थान और सही क्रम में उपलब्ध हों.

आंकड़ों तथा सूचनाओं के स्थानान्तरण या संचरण को Data Communication (डाटा संचरण) कहते हैं. Data Communication का मतलब होता हैं. आंकड़ों तथा सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानान्तरण करना. डाटा संचरण Telephone, Telegraph, Optical Fibre अथवा Satellite द्वारा किया जाता हैं.

वर्तमान समय में Computer का ज्यादातर उपयोग डाटा संचरण तथा आंकड़ों पर क्रिया करने के लिए ही किया जाता हैं. कम्प्यूटर आंकड़ों तथा सूचनाओं के संग्रहकर्ता होते हैं. लेकिन एक कम्प्यूटर पर संचित आंकड़ों तथा सूचनाओं को दूसरे कम्प्यूटर द्वारा बांटने के लिए संचार माध्यम की आवश्यकता होती हैं.

यदि एक से अधिक कम्प्यूटर किसी माध्यम से आपस में जुड़े हैं. तो उन्हें कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Network) कहा जाता हैं. कम्प्यूटर को आपस में तार द्वारा या बिना तार के जोड़ा जा सकता हैं. आइए आपको Computer Network kya hai? Computer Network in Hindi को विस्तार से समझाते हैं.

कम्प्यूटर नेटवर्क क्या हैं? Computer Network in Hindi

Computer Network in Hindi

दो या दो से अधिक कम्प्यूटरों को अन्य उपकरणों के साथ आपस में जोड़ना कम्प्यूटर नेटवर्क कहलाता हैं. ये कंप्यूटर आपस में वायर या वायरलेस द्वारा जुड़कर इलेक्ट्रोनिक सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं.

एक बड़ा Computer जिससे कि बहुत सारे अन्य ऐसे कम्प्यूटर जुड़े हों, जिन पर कार्य करने वाला अपने कम्प्यूटरों पर तो कार्य कर ही सकता हैं. अपितु उस बड़े Computer की भी मदद ले सकता हैं. Computer में प्रयोग होने वाला सबसे महत्वपूर्ण तत्व Data होता हैं. क्यों की डाटा पर ही गणना करके उसे सूचना के रूप में परिवर्तित किया जाता हैं.

Computer Network के अन्तर्गत एक विशेष तथा बड़े से Computer में सारा डाटा व सूचनाएँ भर दी जाती है और इसके साथ अन्य Computers को जोड़ दिया जाता हैं. इस बड़े से कम्प्यूटर को Server कहते हैं। Server एक विशेष कम्प्यूटर होता हैं. जो नेटवर्क में केन्द्र का काम करता हैं. Server से जुड़े Computer अपना और उसका डाटा शेयर कर सकते हैं तथा साथ ही जुड़े हुए कम्प्यूटर आपस में भी डाटा शेयर कर सकते हैं.

कम्प्यूटर नेटवर्क की परिभाषा

आपस में जुड़े हुए कम्प्यूटरों के समूह को कम्प्यूटर नेटवर्क कहा जाता हैं. ये कंप्यूटर आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं. एक तरह से Network कम्प्यूटरों को आपस में सूचना, सन्देश, प्रोग्राम तथा संसाधनों की हिस्सेदारी करने का अवसर प्रदान करते हैं.

नेटवर्किंग के उद्देश्य

(1) विभिन्न यूज़र्स के कम्प्यूटरों को परस्पर आपस में जोड़ना.

(2) सूचनाओं तथा आँकड़ों का परस्पर आदान-प्रदान करना.

(3) एक Computer द्वारा किसी दूसरे कम्प्यूटर को काम देना.

(4) किसी एक कम्प्यूटर द्वारा Processsed आँकड़ों से प्राप्त परिणामों को दूसरे कम्प्यूटर को भेजना.

(5) सहकारी प्रक्रियाओं हेतु दो या दो से अधिक Computers द्वारा सम्मिलित रूप से समस्त संसाधनों का परस्पर उपयोग करना.

(6) विभिन्न Computers से जुड़े यन्त्रों, युक्तियों का परस्पर सम्बद्धता के माध्यम से पूर्ण उपयोग करना.

(7) विभिन्न Computers पर स्थित प्रोग्रामों (सॉफ्टवेयर) को Network से जुड़े किसी कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त व क्रियान्वयन करना.

(8) Computer Network द्वारा संस्था के शाखा या विभागीय नेटवर्क को एकीकृत कर संचालित करना.

कम्प्यूटर नेटवर्क के मुख्य तत्व (Elements of Computer Network in hindi)

कम्प्यूटर नेटवर्क के मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं.

1. Server (सर्वर): यह काफी तेज गति का एक Computer होता हैं. जो Network में एक केन्द्रीय कम्प्यूटर (Central Computer) का कार्य करता हैं. यह नेटवर्क से जुड़े अन्य सभी कम्प्यूटरों को आंकड़ों, फाइलों अथवा अन्य हार्डवेयर संसाधनों (Devices) के हिस्सेदारी की सुविधा प्रदान करता हैं.

2. Work Station (वर्क स्टेशन): इन्हें Node या Client भी कहा जाता हैं. यह वे कम्प्यूटर होते हैं. जो किसी Network में Server से जुड़े होते हैं. इन Computers पर Users कार्य करते हैं और Server की सेवाओं का प्रयोग करते हैं. आप Work Station कम्प्यूटर के द्वारा Server के आंकड़ों तथा सूचनाओं में हिस्सेदारी कर सकते हैं.

3. Medium (माध्यम): Medium एक ऐसा तरीका हैं. जिसके द्वारा नेटवर्क के कम्प्यूटर आपस में जुड़े रहते हैं तथा इनके द्वारा आंकड़ों तथा सूचनाओं का संचरण होता हैं. इनका उदाहरण Cable, Satellite इत्यादि हैं.

4. Network Interface Card (नेटवर्क इन्टरफेस कार्ड): इनका इस्तेमाल किसी Cable को Computer से जोड़ने के लिए किया जाता हैं. इस तरह के Card आंकड़ों तथा सूचनाओं के संचरण में कम्प्यूटर की सहायता करते हैं. इन्हें Ethernet Card भी कहा जाता हैं.

5. Hub (हब): इनका इस्तेमाल Network में अलग-अलग Computer के तारों को एक साझा बिन्दु पर जोड़ने के लिए किया जाता हैं. यह एक तरह का आयताकार बॉक्स होता हैं. जिसमें कई Port लगे होते हैं. उन पोर्ट पर Cable को जोड़ा जाता हैं.

6. Modem (मॉडम): इनका इस्तेमाल Digital Data को Analog Signal तथा ऐनालॉग सिग्नल को डिजिटल डाटा में बदलने के लिए किया जाता हैं. इनका उपयोग टेलीफोन लाइन से कम्प्यूटर को जोड़ने के लिए किया जाता हैं.

7. Protocol (प्रोटोकाल): Network को सुचारु रूप से चलाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता हैं. इन्हीं नियमों को Protocol कहा जाता हैं.

8. Topology (टोपोलॉजी): Network में Computer को किसी माध्यम द्वारा जोड़ने की व्यवस्था की आती हैं. इसी व्यवस्था को टोपोलॉजी कहते हैं. इस विधि द्वारा कम्प्यूटर कई प्रकार से जोड़े जा सकते हैं.

नेटवर्क का वर्गीकरण (Classification of Network in hindi)

नेटवर्क के तत्वों के आधार पर कम्प्यूटर नेटवर्क को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है.

1. Server Network (सर्वर नेटवर्क):

यह Server आधारित नेटवर्क हैं. इस नेटवर्क में Server तथा Work Station दोनों होते हैं. इस प्रकार के Network में एक Server होता हैं. जो Work Station की तरह कार्य नहीं कर सकता हैं. यह सिर्फ Work Station द्वारा मांगी गयी सेवाओं को पूरा करता हैं. यह सर्वर कई प्रकार के कार्य कर सकते हैं. ये सर्वर निम्न प्रकार के होते हैं.

File Server: इस प्रकार के Server फाइलों को Manage करते है और Work Station कम्प्यूटरों द्वारा File से सम्बन्धित सेवाओं को उपलब्ध करते हैं.

Print Server: यह Server प्रिन्टर को प्रबन्धित करता है और Work Station कम्प्यूटरों द्वारा दी गयी छपाई सम्बन्धित सेवाओं को उपलब्ध करता हैं.

Mail Server: इस प्रकार के Server Electronic Message (सन्देशों) को प्रबन्धित करते हैं कि Network के किस User को कब सन्देश भेजना हैं.

2. Peer-to-peer Network (पियर-टू-पियर नेटवर्क)

इस प्रकार के नेटवर्क में प्रत्येक कम्प्यूटर Server तथा Work Station दोनों प्रकार के कार्य करते हैं. इस प्रकार के Network में कोई विशेष Server नहीं होता हैं. नेटवर्क के सभी कम्प्यूटर समान होते हैं. इसी लिए इन्हें पियर कहा जाता हैं. इस प्रकार के नेटवर्क को Workgroup भी कहा जाता हैं.

कम्प्यूटर नेटवर्क के प्रकार (Types of Computer Network in hindi)

नेटवर्क एक-दूसरे से जुड़े कम्प्यूटरों का एक समूह होता हैं. जो की भौगोलिक रूप से अलग-अलग स्थानों पर रखे होते हैं. इसी भौगोलिक मापदण्ड के आधार पर नेटवर्क को तीन भागों में बांटा जा सकता हैं.

  1. LAN – Local Area Network (स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क)
  2. WAN – Wide Area Network (व्यापक क्षेत्र नेटवर्क)
  3. MAN – Metro Area Network (मैट्रो क्षेत्र नेटवर्क)

1. LAN (Local Area Network)

इस प्रकार के नेटवर्क कम दूरी तक सीमित होते हैं. जैसे किसी भवन या परिसर तक ही सीमित होते हैं. इसमें ताँबे या फाइबर ऑप्टीकल्स केबिलों का उपयोग करके संस्था कार्यालय के भीतर ही समस्त कम्प्यूटरों को परस्पर आपस में जोड़ दिया जाता हैं. इतना समझ लीजिए Local Area Network सीमित दूरी के अन्दर ही परिचालित होते हैं. ये सम्बन्धित संस्था में सुपरिभाषित एवं व्यापक कार्य क्रियान्वित करते हैं.

LAN एक निश्चित स्थानीय दूरी के अन्तर्गत एक या एक से अधिक भवनों में लगे कम्प्यूटरों को सम्बद्ध करने का कार्य करते हैं. लैन लगभग 10 मीटर से 1.5 किलोमीटर के क्षेत्र में परिचालित होते हैं. लेकिन Network में जुड़े किन्हीं दो Computers के बीच 20 या 30 मीटर से अधिक दूरी नहीं होनी चाहिए. इसके अन्तर्गत लगभग 1000 तक Computers जोड़े जा सकते हैं.

लैन के अन्तर्गत आँकड़ों के कम्युनिकेशन की गति उसके अन्तर्गत सम्बद्ध कम्प्यूटरों की क्षमता व कम्प्यूटरों को सम्बद्ध करने वाले संचार माध्यमों की गुणवत्ता के अनुसार कम या अधिक हो सकती हैं. LAN में कम्प्यूटरों को जोड़ने हेतु Twisted Pair Cable या Coaxial Cable या Fiber Optic Cable का प्रयोग किया जाता हैं.

Local Area Network के अन्तर्गत Computers को जोड़ने के लिए निम्न दो तकनीकों का प्रयोग किया जाता है.

(i) Client Server Technology

(ii) Peer To Peer Technology

Client Server Technology (क्लाइंट सर्वर तकनीक)

इस प्रकार की तकनीक के अन्तर्गत LAN में सभी Computer एक शक्तिशाली केन्द्रीय कम्प्यूटर से जुड़े होते हैं. जो कि विशाल आँकड़ों के भण्डारण व अनेकों जटिल सेवाओं के क्रियान्वयन की सामर्थ्य रखता हैं. ये केन्द्रीय कम्प्यूटर Server कहलाता हैं. जो कि मुख्य रूप से File व Print Server का कार्य भी करता हैं.

Network में जुड़े अन्य सभी Computer केन्द्रीय कम्प्यूटर की तुलना में कम सामर्थ्य वाले हो सकते हैं. जिन्हें Client कहा जाता हैं. सभी Client Computer फाइलों, आँकड़ों व प्रिन्ट सेवाओं इत्यादि हेतु Server Computer पर निर्भर होते हैं व कभी-कभी कुछ कार्यों के सम्बन्ध में Server Computer अन्य सभी Client कम्प्यूटरों पर नियन्त्रण भी रखता हैं. इसमें स्रोत की हिस्सेदारी सामान्यतः Server Computer द्वारा ही की जाती हैं. क्लाइन्ट कम्प्यूटरों को Work Station भी कहा जाता हैं.

Server Computer द्वारा Client Computers के मध्य परस्पर सन्देशों के आदान-प्रदान में भी सहयोग प्रदान किया जाता हैं. अधिकांशतः सभी Client कम्प्यूटर प्रोसेसिंग व कार्यों के क्रियान्वयन का कार्य करते हैं व अन्य प्रक्रियाओं, आँकड़ों व सेवाओं हेतु Server कम्प्यूटर पर निर्भर होते हैं.

Peer To Peer Technology (पीयर टु पीयर तकनीक)

इस प्रकार के Network में कोई भी केन्द्रीय सर्वर कम्प्यूटर नहीं होता है तथा सभी जुड़े Computer अपनी क्रियाओं व आवश्यक भण्डारण क्षमता से पूर्ण होते हैं. इसमें Computer आपस में सीधे जुड़े होते हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर आँकड़ों, सूचनाओं व अन्य सेवाओं का स्वयं ही परस्पर आदान-प्रदान कर सकते हैं.

स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क की विशेषताएँ (Characteristics of LAN in hindi)

लोकल एरिया नेटवर्क की निम्नलिखित विशेषताएं हैं.

(1) Local Area Network सीमित क्षेत्र के अंदर ही काम करते हैं. यह Network लगभग 10 मीटर से 1.5 किलोमीटर के क्षेत्र में ही कार्य करता हैं.

(2) इस Network में Computer तथा अन्य Devices तार या बेतार द्वारा जुड़े रहते हैं.

(3) इसे स्थापित करने में सामान्यतः कम लागत लगती हैं.

(4) यह प्रायः किसी एक संस्था या उद्देश्य विशेष से सम्बन्धित होते हैं.

(5) इसके द्वारा संसाधनों की साझेदारी और आंकड़ों तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं.

(6) इस Network में आँकड़ों की संचार गति 0-1 Megabyte (MB) से 100 MB प्रति सेकण्ड के बीच हो सकती हैं.

(7) इसमें डाटा संचरण में गलती होने की सम्भावना बेहद कम होती हैं.

2. WAN (Wide Area Network)

WAN से तात्पर्य सुदूर क्षेत्रों में स्थापित विभिन्न Local Area Network प्रणालियों को परस्पर सम्बद्ध करना हैं. इस Network का कार्य क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत होता हैं. यह नेटवर्क हजारों किलोमीटर तक फैला हो सकता हैं.

Wide Area Network विशाल आकार के भूमण्डलीय क्षेत्र में फैला होता हैं. यह सामान्यतः पारस्परिक दूरसंचार लाइनों पर आधारित होते हैं. WAN पर आँकड़ों के सम्प्रेषण की गति LAN की तुलना में अत्यधिक कम होती हैं. LAN में यदि विस्तार क्षेत्र अधिक हो तो Microwave Communication System का प्रयोग किया जा सकता हैं. यदि विस्तार क्षेत्र अनेकों देशों तक फैला हुआ हैं. तो Satellite Communication System का भी प्रयोग किया जा सकता हैं.

वाइड एरिया नेटवर्क में एक शहर के छोटे Computer Network को दूसरे शहरों या दूसरे राज्यों के शहरों या दूसरे देशों के शहरों में स्थापित छोटे या बड़े नेटवर्कों से जोड़ा जा सकता हैं. अतः हम कह सकते हैं की वाइड एरिया नेटवर्क का विस्तार क्षेत्र कुछ शहरों से लेकर राज्यों तक या देशों तक हो सकता हैं.

Wide Area Network में लोकल एरिया नेटवर्क के समान महँगे co-axial cable या Fiber Optics का प्रयोग करना काफ़ी महँगा पड़ता हैं. इस लिए इसमें सामान्यतः Twisted pair cable या Telephone Line का इस्तेमाल किया जाता हैं.

WAN में पहले स्थापित टेलीफोन लाइनों का प्रयोग अत्यधिक सस्ता पड़ता है व इन लाइनों की सुरक्षा पर भी ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता हैं. लेकिन इसके कारण इसमें आँकड़ों की Communication गति अत्यधिक कम हो जाती हैं. जिस कारण आँकड़ों (data) या सन्देशों को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक भेजने के लिए Modem का प्रयोग किया जाता हैं. ताकि कम्प्यूटर के Digital Signals को प्रेषक कम्प्यूटर से जुड़े Modem द्वारा Analog Signal में रूपान्तरित कर टेलीफोन तारों पर भेजा जा सके व प्राप्तकर्ता कम्प्यूटर से जुड़े Modem द्वारा इन Analog रूपी आँकड़ों के सिग्नलों को पुनः Digital Signals में रूपान्तरित कर Computer द्वारा प्रयोग के योग्य बनाया जा सके.

व्यापक क्षेत्र नेटवर्क की विशेषताएँ (Characteristics of WAN in hindi)

वाइड एरिया नेटवर्क की निम्नलिखित विशेषताएं हैं

(1) इस नेटवर्क में संचार के लिए भौगोलिक क्षेत्र की कोई सीमा नहीं हैं.

(2) इस नेटवर्क में विभिन्न कम्प्यूटरों के बीच किसी भौतिक लिंक की आवश्यकता नहीं हैं.

(3) इस प्रकार का नेटवर्क सबसे बड़ा होता हैं.

(4) इसे स्थापित करने तथा प्रयोग में लाने में काफी लागत लगती हैं.

(5) इस नेटवर्क में आँकड़ों की संचार गति लगभग 1200 से 9600 बिट प्रति सेकण्ड के बीच हो सकती हैं.

(6) इसमें डाटा प्राप्त करने में कुछ ज्यादा समय लगता हैं.

(7) यह कई संस्थाओं द्वारा साझे के रूप में प्रयोग किया जाता हैं.

3. MAN (Metro Area Network)

यह नेटवर्क भी एक प्रकार का वाइड एरिया नेटवर्क ही हैं. लेकिन इस Network की स्थापना सभी छोटे-बड़े शहरों को जोड़ने के लिए नहीं की गई हैं. बल्कि इसके अन्तर्गत मात्र देश के Metro Cities जैसे की हमारे भारत देश के मैट्रो शहर दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई इत्यादि में स्थापित कम्प्यूटर नेटवर्कों को विशिष्ट कारणों से जोड़ा गया हैं.

मैट्रो क्षेत्र नेटवर्क की विशेषताएं (Characteristics of MAN in hindi)

मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क की निम्नलिखित विशेषताएं हैं.

1. इस नेटवर्क का भौगोलिक क्षेत्रफल एक महानगर के बराबर हो सकता हैं.

2. यह किसी एक संगठन के एक शहर में फैले कई कार्यालयों को नेटवर्क द्वारा जोड़ने के उपयोग में लाया जाता हैं.

3. इस नेटवर्क की लागत लोकल एरिया नेटवर्क की तुलना में अधिक होती हैं.

4. यह किसी संस्था में आंकड़ों तथा सूचनाओं के आदान-प्रदान के उपयोग में लाया जाता हैं.

LAN तथा WAN में अन्तर

LANWAN
लोकल एरिया नेटवर्क सीमित भौगोलिक क्षेत्र में काम करता हैं.वाइड एरिया नेटवर्क भौगोलिक दृष्टि से विस्तृत क्षेत्र में काम करता हैं.
इसमें कम्प्यूटरों को आपस में तारों से जोड़ा जाता हैं.इस प्रणाली में कम्प्यूटरों को भौतिक लिंक से जोड़ने की आवश्यकता नहीं हैं.
इसे स्थापित करने की लागत बहुत कम हैं.इसे स्थापित करने की लागत अधिक हैं.
यह नेटवर्क किसी संस्था विशेष से सम्बन्धित होते हैं.ये नेटवर्क विश्वव्यापी होते हैं.
इसमें आँकड़ों की संचार गति 0.1 मेगाबाइट से 100 मेगाबाइट प्रति सेकण्ड होती हैं.इस नेटवर्क में आँकड़ों की संचार गति 1200 से 9600 बिट प्रति सेकण्ड होती हैं.

कम्प्यूटर नेटवर्क के लाभ (Advantage of Computer Network in hindi)

कम्प्यूटर नेवटर्क से हमें कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं. उनमें से कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं.

1. संसाधनों की हिस्सेदारी (Share of Resources): किसी Computer को Network में जोड़ने से कई प्रकार के संसाधनों की हिस्सेदारी का लाभ प्राप्त होता हैं. Network की मदद से एक Printer द्वारा किसी भी Computer की फाइलों को प्रिन्ट किया जा सकता हैं. इसी प्रकार एक File को एक से अधिक कम्प्यूटरों पर संगृहीत (Store) किया जा सकता हैं.

2. उच्च विश्वसनीयता (High Reliability): Network की मदद से किसी एक File या Data को एक से अधिक कम्प्यूटरों पर संगृहीत किया जा सकता हैं. इससे File या Data अधिक सुरक्षित हो जाते हैं. यदि किसी कारण वस एक Computer खराब भी हो जाता हैं. तो दूसरे कम्प्यूटर से वे File या Data प्राप्त किए जा सकते हैं.

3. डाटा संचरण की तीव्र गति (High Speed of Data Communication): नेटवर्क की मदद से एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर आंकड़ों तथा सूचनाओं का तीव्र गति से संचरण किया जा सकता हैं. इससे समय की बचत होती है और आंकड़ों के संचरण में कम खर्च लगता हैं.

4. सामूहिक सन्देश भेजना (Sending Group Message): नेटवर्क की सहायता से किसी भी सन्देश या सूचना को नेटवर्क से जुड़े सभी कम्प्यूटरों पर एक साथ भेजा जा सकता हैं.

5. कम खर्चीला (Low Coast): Computer के उपलब्ध संसाधनों में हिस्सेदारी से Network कम खर्चीला पड़ता हैं. मान लीजिए यदि आपके पास दस कम्प्यूटर हैं. तो उन्हें नेटवर्क में जोड़कर आप केवल एक Printer से ही सभी कम्प्यूटरों की छपाई का कार्य कर सकते हैं.

नेटवर्क टोपोलॉजी क्या हैं? What is Network Topology in hindi

एक नेटवर्क में विभिन्न कम्प्यूटरों को किसी माध्यम द्वारा जोड़ने की भौगोलिक व्यवस्था को नेटवर्क टोपोलॉजी कहते हैं. Network Topology कई प्रकार के हो सकते हैं। उनमें से कुछ मुख्य टोपोलॉजी निम्नलिखित हैं.

  • Bus Topology (बस टोपोलॉजी)
  • Ring Topology (रिंग टोपोलॉजी)
  • Star Topology (स्टार टोपोलॉजी)
  • Tree Topology (ट्री टोपोलॉजी)
  • Net Topology (जाल टोपोलॉजी)

उपर्युक्त सभी प्रकार के Network Topology के अपने अलग-अलग लाभ व हानियाँ हैं. इन Topology को आवश्यकता अनुसार संयुक्त रूप में भी प्रयोग किया जा सकता हैं. जैसे की स्टार बस टोपोलॉजी या स्टार रिंग टोपोलॉजी इत्यादि. आइए एक-एक करके उपर्युक्त सभी Topology के बारे में जान लेते हैं.

बस टोपोलॉजी (Bus Topology)

यह सबसे सरल टोपोलॉजी हैं. Bus Topology में नेटवर्क के अन्तर्गत आने वाले सभी कम्प्यूटरों को एक सामान्य ताँबे के तार (मुख्यतः कोएक्सियल) केबिल से जोड़ा जाता हैं. जिसे ‘BUS’ (बस) कहते हैं. इसमें सभी Computer एक सीध में Wire से जुड़े होते हैं.

इस प्रकार की टोपोलॉजी में आंकड़ों के संचार के लिए संचार माध्यम का खाली होना आवश्यक हैं. यह एक समय में केवल एक ही कम्प्यूटर आंकड़ों का संचार कर सकता हैं.

बस टोपोलॉजी के लाभ (Advantages)

(1) इसमें स्थापित मानकों का प्रयोग किया जा सकता हैं.

(2) इसे स्थापित करना सरल है तथा लागत भी काफी कम लगती हैं.

(3) इसमें नए नोड जोड़ना तथा हटाना आसान होता हैं.

(4) किसी एक नोड के खराब होने पर पूरा नेटवर्क प्रभावित नहीं होता हैं.

(5) इसमें बहुत कम केबिल की आवश्यकता होती हैं.

(6) कम लम्बे केबिल इस्तेमाल होने के कारण इसमें उत्तम गुणवत्ता वाले महँगे केबिल का उपयोग किया जा सकता हैं.

बस टोपोलॉजी से हानि (Disadvantages)

(1) इसमें त्रुटि ढूँढ़ना कठिन हैं.

(2) दो कम्प्यूटरों के बीच दूरी बढ़ने पर संचार गति धीमी हो जाती हैं.

(3) किसी भी कम्प्यूटर या वर्क स्टेशन के खराब हो जाने पर पूरी नेटवर्क प्रणाली ही ठप्प हो जाती हैं.

रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)

इस प्रकार के नेटवर्क में कोई सर्वर नहीं होता हैं. रिंग टोपोलॉजी में भी कम्प्यूटरों को बस टोपोलॉजी के समान ही जोड़ा जाता हैं. लेकिन इसमें Cable के अन्तिम छोरों को टर्मिनेटर से बन्द नहीं किया जाता हैं. बल्कि अन्तिम सिरों को आपस में ही जोड़ दिया जाता हैं. जिससे एक गोलाकार, छल्ले या रिंग के समान आकृति बनती हैं. इसका रूप गोलाकार होने के कारण इसे रिंग टोपोलॉजी कहा जाता हैं.

इस Network में प्रेषित सिग्नल केबिल पर इस रिंग में घूमता हुआ गन्तव्य कम्प्यूटर तक पहुँचता हैं. Ring Topology में सभी कम्प्यूटर एक चक्र अथवा रिंग में एक-दूसरे से सम्बद्ध होते हैं.

रिंग टोपोलॉजी के लाभ (Advantages)

(1) केबिल में व्यवधान सरलता से खोजा सकता हैं.

(2) इसमें दोहरी रिंग का प्रयोग होने के कारण एक रिंग खराब होने पर भी सिस्टम सुचारु रूप से कार्य कर सकती हैं.

(3) इसमें डाटा संचरण की गति बस टोपोलॉजी की तुलना में अधिक होती हैं.

(4) यह बहुत ही विश्वसनीय टोपोलॉजी हैं.

(5) यह नेटवर्क किसी एक विशेष कम्प्यूटर पर निर्भर नहीं होता हैं.

रिंग टोपोलॉजी की कमियाँ (Disadvantages)

(1) बस टोपोलॉजी की अपेक्षा इसको स्थापित करना अधिक कठिन कार्य हैं.

(2) दो रिंग व्यवस्था में भी दोनों रिंग खराब होने पर प्रणाली बन्द हो सकती हैं.

(3) किसी एक भी कम्प्यूटर के समस्या-ग्रस्त होने पर समूचा नेटवर्क प्रभावित हो सकता हैं.

(4) इस प्रकार के नेटवर्क में नोड की संख्या बढ़ाने से डाटा संचरण की गति कम हो जाती हैं.

स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)

इस टोपोलॉजी में एक केन्द्रीय कम्प्यूटर होता है, जिसे सर्वर कहते हैं. प्रत्येक वर्क स्टेशन या टर्मिनल कम्प्यूटर इस Server Computer से सीधा जुड़ा होता हैं. यह बहुत ही प्रचलित विधि हैं. Computers से सर्वर सीधे जुड़े होने के कारण इसकी रचना सितारे या स्टार के समान बनती हैं. इसी कारण इसे स्टार टोपोलॉजी कहा जाता हैं. इसमें कम्प्यूटरों को Server से जोड़ने के लिए सर्वर के साथ HUB नामक यन्त्र का प्रयोग किया जाता हैं.

इस प्रकार के नेटवर्क में यदि n कम्प्यूटर हैं. तो उन्हें जोड़ने के लिए n-1 संचार लाइनों की आवश्यकता होती हैं. इस नेटवर्क में डाटा संचरण की गति काफी तीव्र होती हैं. क्योंकि किन्हीं दो नोड के बीच डाटा संचरण में केवल दो संचार लाइनों का प्रयोग होता हैं.

स्टार टोपोलॉजी से लाभ (Advantages)

(1) इस प्रकार के नेटवर्क में त्रुटि ढूँढ़ना सरल होता हैं.

(2) संचार सम्बन्धी व्यवधान स्वतः ही दूर हो जाते हैं.

(3) डाटा संचार की गति तीव्र होती हैं.

(4) इसकी लागत कम होती हैं.

(5) एक वर्क स्टेशन या टर्मिनल कम्प्यूटर समस्या-ग्रस्त होने पर भी समस्त नेटवर्क प्रणाली सुचारु रूप से चलती रहती हैं.

स्टार टोपोलॉजी से हानि (Disadvantages)

(1) इसमें Bus व Ring टोपोलॉजी की तुलना में अधिक लम्बी Cable की जरूरत होती हैं. जिससे कारण इसकी लागत बढ़ जाती हैं.

(2) यह सम्पूर्ण प्रणाली एक HUB पर निर्भर करती हैं. जिस कारण हब के खराब हो जाने पर पूरा नेटवर्क फेल हो जाता हैं.

ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)

इस प्रकार की टोपोलॉजी में Computer केबिल द्वारा एक पेड़ की शाखाओं की तरह जुड़े होते हैं. इस Network में एक मुख्य कम्प्यूटर होता हैं. जिसे Root Node कहा जाता हैं. रूट नोड को Parent Node तथा उससे सीधे जुड़े नोडों को Child Node कहा जाता हैं. यदि किसी चाइल्ड नोड़ से कुछ अन्य नोड सीधे जुड़े हैं. तो उस नोड को सीधे जुड़े नोड का पैरेन्ट नोड कहा जाता हैं.

ट्री टोपोलॉजी के लाभ (Advantages)

(1) यह टोपोलॉजी अधिक विश्वसनीय होते हैं. क्योंकि इसमें Data संचरण के लिए सभी कम्प्यूटरों के बीच स्पष्ट मार्ग होता हैं.

(2) डाटा संचरण की गति अपेक्षाकृत तीव्र होती हैं.

(3) इस प्रकार के नेटवर्क में नोडों की संख्या अधिक हो सकती हैं.

ट्री टोपोलॉजी से हानि (Disadvantages)

(1) इस प्रकार के नेटवर्क में नोड की संख्या बढ़ाने से डाटा संचरण की गति कम हो जाती हैं.

(2) इस प्रकार के नेटवर्क में यदि कोई नोड खराब हो जाते हैं. तो उस नोड के Child नोड का डाटा संचरण बाकी नोडों से टूट जाता हैं. जिसके कारण नेटवर्क का एक भाग प्रभावित हो जाता हैं.

जाल टोपोलोजी (Mesh Topology)

मेश टोपोलॉजी में प्रत्येक कम्प्यूटर अन्य सभी कम्प्यूटरों से जुड़ा रहता हैं. इसी कारण इसे Point of Point नेटवर्क अथवा जाल नेटवर्क (Mesh Network) कहा जाता हैं. सम्पूर्ण जाल नेटवर्क में n डिवाइसेज को जोड़ने के लिए n (n-1)/2 भौतिक चैनलों की आवश्यकता होती हैं.

मेश टोपोलॉजी से लाभ (Advantages)

(1) आँकड़ों के आदान-प्रदान का निर्णय प्रत्येक कम्प्यूटर स्वयं लेता हैं.

(2) यह अधिक विश्वसनीय हैं. एक लिंग के कार्य न करने पर सम्पूर्ण प्रणाली प्रभावित नहीं होती हैं.

(3) इसमें त्रुटियों का पता लगाना आसान होता हैं.

मेश टोपोलॉजी से हानि (Disadvantages)

इसमें मुख्य हानि यह है की इसकी लाइन बिछाने के लिए अधिक Input/Output Port की जरूरत होती हैं. जिस कारण केबलिंग का खर्चा बढ़ जाता हैं.

टोपोलॉजियों का संयुक्त प्रयोग (Hybrid Topology)

किन्हीं भी दो अथवा तीन टोपोलॉजियों को जोड़कर उन्हें संयुक्त रूप में भी प्रयोग किया जा सकता हैं. जैसे की Star-Bus टोपोलॉजी, Star-Ring टोपोलॉजी इत्यादि.

1. Star-Bus Topology (स्टार- बस टोपोलॉजी)

यह नेटवर्क Star Topology तथा Bus Topology का संयुक्त रूप हैं. इसके अन्तर्गत एक से अधिक Star हब को Bus केबिल से एक साथ जोड़ दिया जाता हैं. कोई कम्प्यूटर खराब होने पर हब उस नोड की खराबी का पता लगाकर उसे Computer Network से अलग कर देता हैं.

2. Star-Ring Topology (स्टार-रिंग टोपोलॉजी)

यह नेटवर्क Star Topology तथा Ring Topology का संयुक्त रूप हैं. इसके अन्तर्गत नेटवर्क केबिल Star टोपोलॉजी की तरह लगी होती हैं. लेकिन रिंग को एक केन्द्रीय हब से जोड़ा जाता हैं.

QNA: (Computer Network in Hindi)

1. एक ऐसा नेटवर्क जो एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में कार्य करता है, उसे कहते हैं.

(i) LAN

(ii) MAN

(iii) WAN

(iv) अन्य कोई

उत्तर— (i)

2. जब दो या दो से अधिक कम्प्यूटर किसी माध्यम की सहायता से परस्पर सम्पर्क में रहते हैं. तो इस व्यवस्था को क्या कहते हैं.

(i) म्प्यूट

(ii) कम्प्यूटर नेटवर्क

(iii) आँकड़ों का संचार

(iv) माइक्रो संसाधक

उत्तर- (ii)

3. वह कम्प्यूटर जो नेटवर्क में केन्द्र का कार्य करता है, उसे कहते हैं.

(i) सर्वर कम्प्यूटर

(ii) क्लाइण्ट कम्प्यूटर

(iii) नेटवर्क कम्प्यूटर

(iv) नोड कम्प्यूटर

उत्तर–(i)

4. नेटवर्क में अलग-अलग कम्प्यूटरों के तारों को एक साझा बिन्दु से जोड़ने का कार्य जिस उपकरण द्वारा किया जाता है, उसे कहते हैं.

(i) नोड

(ii) हब

(iii) सर्वर

(iv) क्लाइण्ट

उत्तर- (ii)

5. वह नेटवर्क जिसमें आँकड़ों के संचार की गति 9600 बिट प्रति सेकण्ड तक होती है, उसे कहते हैं.

(i) LAN

(ii) MAN

(iii) WAN

(iv) इनमें से कोई नहीं.

उत्तर- (iii)

6. वह टोपोलोजी जिसमें डिवाइस एक लम्बी केबिल से जुड़े रहते हैं, उसे कहते हैं.

(i) बस नेटवर्क

(ii) रिंग नेटवर्क

(iii) स्टार नेटवर्क

(iv) मेश नेटवर्क

उत्तर- (i)

7. कम्प्यूटर नेटवर्क को सुचारू रूप से कार्य कराने के लिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है, उसे क्या कहा जाता हैं.

(i) सर्वर

(ii) कम्प्यूटर

(iii) नेटवर्क

(iv) प्रोटोकॉल

उत्तर- (iv)

8. नेटवर्क के सर्वर से जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर को कहते हैं.

(i) नोड

(ii) हब

(iii) पोर्ट

(iv) क्लाइण्ट

उत्तर— (i)

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