कंप्यूटर प्रोग्रामिंग क्या हैं? के इस लेख में आप प्रोग्राम (Software) को विकसित करने की प्रक्रिया से भली-भाती परिचित हो चुके हैं. लेकिन प्रोग्राम निर्माण करने के लिए आपको प्रोग्रामिंग भाषाएँ क्या हैं? के बारे में जानना बहुत ज़रूरी हैं. क्यों की Program Code लिखने के लिए आपके पास प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का ज्ञान होना अनिवार्य हैं. इस लेख में आप सीखेंगे की Programming Language kya hai? What is Programming Language in hindi?
भाषाएँ Communication का साधन हैं। हमारे जीवन में भाषा का बहुत ही महत्वपूर्ण रोल हैं. भाषा की मदद से ही हम अपने विचारो को व्यक्त कर पाते हैं. लेकिन जो भाषा मनुष्य समझता हैं. वह भाषा कंप्यूटर नहीं समझ सकता हैं. क्योंकि कंप्यूटर निर्जीव हैं. उसमें दिमाग व विवेक नहीं होते हैं. इस लिए Computer की अपनी भाषा होती हैं. Computer सिर्फ वही कार्य करता हैं. जो उसे अपनी भाषा में करने के लिए निर्देश दिए जाते हैं.
कंप्यूटर क्या है? के लेख में आपने सिखा था की Computer एक ऐसा Machine हैं. जो यूज़र द्वारा दिए गए Instruction का पालन करता हैं. लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है की आखिर कंप्यूटर को निर्देश (instruction) कैसे दिया जाता हैं? दरअसल कंप्यूटर को निर्देश Programming Language की मदद से दी जाती हैं.
प्रोग्रामिंग भाषा Artificial language होती हैं. इस लेख में आप Programming भाषाओं से सम्बंधित पूरी विस्तृत जानकारी प्राप्त करने वाले हैं. तो आइए सिख लेते है की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या हैं? What is Programming Language in hindi? इनकी आवश्यकता क्यों पड़ी? प्रोग्रामिंग भाषाओं की पीढ़ियाँ तथा इनके प्रकार क्या हैं?
प्रोग्रामिंग भाषाएँ क्या हैं? Programming Language in hindi
प्रोग्रामिंग Language मनुष्य और Computer के बीच Communication का माध्यम हैं. Programming भाषाओं द्वारा मनुष्य कंप्यूटर को यह बताता है की उसे क्या क्रिया करनी हैं? फिर Computer उस क्रिया का पालन करता है और मनुष्य को Output प्रदान करता हैं.
Programming Language लिखने के कुछ नियम होते हैं. इन Language के अपने शब्द, सिम्बल, अर्थ तथा प्रयोग होते हैं. Programming भाषा को लिखते हुए उनके नियम को ‘सिन्टैक्स नियम’ (Syntax Rules) कहा जाता हैं. इन नियम का कठोरता से पालन करना आवश्यक होता हैं.
दरअसल मनुष्य की भांति Computer की भी अपनी भाषा होती हैं. जिसे वह समझ सकता हैं. Computer की भाषा भी वही कार्य करते हैं. जो मनुष्य की भाषाएँ करती हैं. मनुष्यों द्वारा बोली जाने वाली भाषाएँ जैसे हिन्दी, इंगलिश इत्यादि को Computer नहीं समझता हैं. वे अपनी ही भाषा बोलते तथा समझते हैं. इस लिए मनुष्य को कम से कम एक Computer Language ज़रूर सीखना चाहिए. ताकि वे Computer से बात कर सकें.
Data को Process करके उसे Information में बदलने के लिए, जरूरी काम करने का Instruction देने के लिए Computer Program में Instructions का समूह होता हैं. एक Computer Programmer Programming Language का प्रयोग कर इन Instruction को लिख सकता हैं. Programmer Computer Program तैयार करने के लिए जो Steps उठाता हैं. उसे Program Development Life Cycle (PDLC) कहते हैं.
Programming Language को विकसित करने का उद्देश्य
प्रोग्रामिंग भाषाएँ विकसित करने के पीछे निम्न उद्देश्य थे.
1. Computer Machine Language यानी Binary अंकों में कार्य करती हैं. लेकिन इन Language में Instruction देना अत्यन्त जटिल कार्य था. इसके लिए बहुत अधिक ज्ञान और अधिक समय की ज़रूरत पड़ती थी.
2. पहले कई तरह के Computers हुआ करते थे. उनकी Internal Structure भिन्न-भिन्न होती थी. जिसके कारण प्रत्येक Computer पर Coding करने की अलग-अलग विधियाँ होती थीं. अतः Programming Languages को इस प्रकार design किया गया की वे Computer की Internal Structure पर निर्भर न रहें. तथा एक Programming Language में लगभग सभी प्रकार के Computes के लिए Code लिखा जा सके.
3. Programming Language के विकास से Computer पर अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते हैं.
4. Programming Language द्वारा Computer पर Work करने के लिए Computer Hardware, उसकी Internal Structure, Hardware के कार्य करने के तरीके इत्यादि की अब विस्तृत ज्ञान होना आवश्यकता नहीं हैं.
कंप्यूटर भाषाओं का वर्गीकरण (Classification of Programming Language in hindi)
Computer के आरम्भिक काल में Code लिखने के लिए Binary Language का इस्तेमाल होता था. जिसके कारण प्रोग्रामर को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता था. समस्याएं कम हो इसके लिए धीरे-धीरे अपेक्षाकृत सरल भाषाओं का विकास होने लगा. आज वर्तमान समय में देखा जाए. तो ऐसी Programming Language Develop हो चुकी हैं. जिनकी मदद से Computer से कार्य करना अत्यधिक सरल हो गया हैं.
Programming Language के विकास यात्रा को चार पीढ़ियों (Generations) में वर्गीकृत किया गया हैं.
(i) प्रथम पीढ़ी मशीन भाषा (First Generation Language – Machine language) – 1GL > 1940 वाँ दशक.
(ii) द्वितीय पीढ़ी असेम्बली भाषा (Second Generation Language – Assembly language) – 2GL > 1950 वाँ दशक.
(iii) तृतीय पीढ़ी उच्च स्तरीय भाषा (Third Generation Language – High Level Language) – 3GL > 1960-1970 वाँ दशक.
(iv) चतुर्थ पीढ़ी 4GL भाषा (Fourth Generation Language) – 4GL > 1970 के बाद के दशक.
First Generation 1940 वें दशक की Language हैं. जिसकी Programming Language मशीनरी भाषा (Binary Language) थी. यह सबसे पहली Programming Language थी.
Second Generation 1950 वें दशक की Language हैं. जिसमें Assembly Language का विकास किया हुआ. Assembly Language मशीनरी भाषा की तुलना में अपेक्षाकृत सरल थी.
Third Generation 1960 वें तथा 70 वें दशक के मध्य की भाषा हैं. इसमें अनेक महत्वपूर्ण Programming Languages का विकास हुआ. इस Generation में High Level Languages (HLL) का विकाश किया गया. जिनका प्रयोग आज भी Programming के लिए किया जाता हैं. जैसे की C, COBOL, FORTRAN, ALGOL, इत्यादि.
Fourth Generation 1970 वें दशक के बाद से शुरू हुई. इस Generation में HLL के अपेक्षाकृत Simple तथा User-friendly Languages का विकास हुआ. खासकर DBMS Language इस Generation की महत्वपूर्ण देन हैं.
आइए अब हम प्रत्येक Generation (पीढ़ी) की भाषा का अध्ययन कर लेते हैं. ताकी आपको Programming Language in hindi की पूरी जानकारी हो जाए. चलिए सबसे पहले मशीन भाषा पर दृष्टि डालते हैं.
Machine Language (मशीनी भाषा)
आरम्भिक दौर में जब Computer पर Programming करने की शुरुआत हुई. तो उस समय न ही कोई Programming Language विकसित हुई थी और न ही कोई Translator Program Develop हो पाए थे. अतः उस समय Computer को देने के लिए Instruction ऐसे भाषा में लिखे गए. जिसे Computer direct समझ सकें और यही कम्प्यूटर की भाषा ही ‘मशीन भाषा’ (Machine Language) कहलाई.
Computer एक Machine हैं. इसलिए वह मशीनी भाषा ही पढ़ और समझ सकता हैं. यह भाषा Binary (द्विवर्णी) पर आधारित होते हैं. यानी Machine Language शून्य 0 व इकाई (1) का Combination हैं. ऐसे Instruction या Code जो Binary अंकों में लिखा गया हैं. यदि Computer उसे डायरेक्ट समझ सकता हैं. तो वह Machine Code या Machine Language Program कहलाता हैं.
Computer शब्द तथा अक्षर नहीं समझते हैं. इस लिए प्रत्येक इनफार्मेशन को C.P.U. (केन्द्रीय प्रक्रिया इकाई) द्वारा कार्यान्वित करने से पूर्व संख्याओं में बदलना आवश्यक हैं. First Generation के Computers केवल उन्हीं प्रोग्रामों पर कार्य करते थे. जो Machine Language में लिखे गए होते थे.
मनुष्यों को Machine Language समझने तथा उसका प्रयोग करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. यह भाषा Program बनाने वाले के लिए बहुत ही कठिन तथा समय नष्ट करने वाली Language थी. इसलिए मशीनी भाषा का उपयोग सिर्फ अनुभवी व विशेषज्ञों द्वारा ही किया जा सकता था.
Machine Language में प्रत्येक Instruction “Binary” संख्याओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता हैं. ये संख्याएँ 0 व 1 के अनुक्रम में होती हैं. इस भाषा द्वारा सरल से सरल कार्य करने के लिए भी Computer को Machine Language में हजारों Instruction देने की आवश्यकता होती हैं.
Machine Language में प्रत्येक Instruction दो भागों में बटे होते हैं. इनमें पहला भाग Command या Operation Code कहलाता है. Operation Code को संक्षिप्त में “OP-CODE” भी कहते हैं तथा दूसरा भाग Operand यानी जिस पर क्रिया की जानी हैं.
पहला भाग Computer को यह बताता है की उसे क्या करना हैं? जैसे जोड़ना हैं, घटाना हैं या गुणा करना हैं इत्यादि. प्रत्येक Computer में प्रत्येक Function या कार्य करने के लिए एक Operation code – OPCode होता हैं. ये Code विभिन्न Computers के लिए भिन्न- भिन्न हो सकते हैं.
वही दूसरा भाग यानी Operand, Computer को यह बताता है की जिस Data पर क्रिया करनी हैं. उसे कहाँ संचय करें अथवा उसे कहाँ ढूंढे एवं दिए गए Instructions को कहाँ संचय करें या ढूंढे.
उदाहरण के लिये 001010001110 एक 12 bit के Machine Instruction को प्रदर्शित करता हैं. इसे दो भागों Operation Code व Operand में विभाजित किया गया हैं. इसमें 001 Op Code व 010001110 Operand हैं.
मशीनी भाषा की पूरी विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए आप Machine Language क्या हैं? इनकी विशेषताएँ तथा कमियाँ, मशीन कोड का प्रारूप इत्यादि इस लेख में पढ़ सकते हैं.
Assembly Language (असेम्बली भाषा)
असेम्बली भाषा Second Generation के Computer के इस्तेमाल होने वाली भाषा हैं. इस भाषा में Code लिखना मशीन भाषा की तुलना में सरल हैं. क्यों की इस भाषा में संख्याओं का उपयोग न करके Symbolic Codes जिन्हें Mnemonic कहा जाता हैं का उपयोग किया जाता हैं. जिसे याद रखना तथा उनको समझना काफी सरल हैं.
Assembly Language में लिखे Instruction Computer द्वारा समझने के लिए इस भाषा के Program का Machine Language में अनुवाद करना अनिवार्य हैं. किसी Assembly Language में लिखे Program का Machine Language में अनुवाद एक विशिष्ट Program द्वारा किया जाता हैं. जिसे संग्रहकर्ता कहा जाता हैं. संग्रहकर्ता Assembly Language में Instruction प्राप्त कर Assembly Language में लिखे Program को डायरेक्ट ही Machine Language में बदल देता हैं. इस अवस्था में Machine Code उस Program को कार्यान्व्ति कर देते हैं.
Assembly Language के प्रत्येक Instruction के तीन भाग हो सकते हैं. लेकिन प्रत्येक Instructions में तीनों भागों का होना आवश्यक नहीं हैं. पहला भाग Label या Tag कहलाता हैं. दूसरा भाग Operational Code कहलाता हैं. अंतिम तीसरा भाग Operand कहलाता हैं.
Assembly Language में त्रुटियाँ कम होती हैं. जिसके कारण Program तेजी से कार्यान्वित होता हैं. त्रुटियों का पता लगाकर उसे संशोधित करने का कार्य सरल हैं. Assembly Language क्या हैं? इनकी कमियाँ तथा विशेषताओं की पुरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आप यह लेख पढ़ सकते हैं.
High Level Language (शक्तिशाली भाषा)
अब तक आपने जाना की Computer सिर्फ Binary Language ही समझता हैं. जिसे 0 व 1 के क्रम में लिखा जा सकता हैं. लेकिन इन Language में Program लिखना तथा समझना अत्यन्त कठिन व जटिल कार्य हैं.
इसके अलावा Program बनाते समय Assembly Language के Code याद रखना भी कठिन कार्य हैं. इस लिए एक ऐसी Language का आविष्कार किया गया. जिसे मनुष्य बहुत ही आसानी से लिख और समझ सके. HLL में Assembly भाषा में विकसित किए गए Mnemonic, जिसे स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला कहा जाता है का भी उपयोग किया गया.
High Level Language के विकास से Program को लिखने व समझने की कठिनाई दूर हो गई. इनमें सर्वप्रथम Cobol Language थी. इसके बाद Fortran, Algol, Basic व Pascal इत्यादि भाषाओं का विकास हुआ.
सन् 1960 से लेकर आज तक बहुत सारी High level Language का विकस हुआ. जिसे मनुष्य आसानी से समझ लेता हैं. लेकिन यह भाषा कंप्यूटर को समझने में कठिन हैं. इन समस्त Languages में Math’s व English की भांति चिन्हों का प्रयोग किया जाता हैं. ये भाषाएँ Machine पर आधारित नहीं हैं. इस कारण इन Languages में बनाया गया Program सभी Computers पर उपयोग किया जा सकता हैं.
चूकी Computer को इन भाषाओं को समझने में कठिनाई होती हैं. इसलिए इन समस्त शक्तिशाली भाषाओं में Compiler व Interpreter की आवश्यकता होती हैं. जो High level Language में लिखे Program को मशीनी भाषा में Translate (अनुवाद) कर देते हैं. जिसे कंप्यूटर पढ़ और समझ सकता हैं. Language Translator क्या होता हैं? की सम्पूर्ण जानकारी आप इस article में पढ़ सकते हैं. ताकि आप समझ सके HLL को Machine Language में कैसे ट्रांसलेट किया जाता हैं.
High level Language में लिखा मूल प्रोग्राम “Source Program” कहलाता हैं तथा मूल प्रोग्राम का Machine Language में किया गया अनुवाद Object Programme कहलाता हैं. सिंपल शब्दों में कहे, तो आप इतना समझ लीजिए की Compiler द्वारा Source Program का Computer द्वारा समझी जाने वाली Machine Language में अनुवाद कर दिया जाता हैं. जिसे Computer कार्यान्वित करता हैं.
Compiler व Interpreter या अनुवादक
High level Language तथा Assembly Language में लिखे Programs को कार्यान्वित करने से पहले उन्हें Machine Language में बदलना होता हैं. Compiler व Interpreter High level Language को Machine Language में बदलने वाले प्रोग्राम हैं. लेकिन इन दोनों की कार्यप्रणाली एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं. आइए इन दोनों के अन्तर को समझते हैं.
Compiler क्या हैं?
यह High level Language के Source Program को एक साथ ही मशीनी भाषा या Code में Translate कर देता हैं. जिसे Object Code (लक्ष्य प्रोग्राम या कोड) कहा जाता हैं. यह Translated Program एक साथ ही एक बार में Executed कर दिया जाता हैं.
Objects Code को Computer की Memory में Store कर दिया जाता हैं. ताकि भविष्य में आवश्यकता होने पर उसे Executed किया जा सके. इस प्रकार Compiler को Source Program को बार-बार Translate नहीं करना पड़ता हैं. इसके अलावा Program Executed होने में भी कम समय लगता हैं.
दरअसल सबसे पहले Compiler Computer की मुख्य Memory में भरा जाता हैं. उसके बाद Program Computer में भर दिया जाता हैं तथा Computer को Program Executed करने के आदेश दे दिया जाता हैं. Computer Memory क्या होता हैं? जानने के लिए आप यह पोस्ट पढ़ सकते हैं.
यदि Program में Grammar से जुड़ा कोई Error नहीं हैं. तो Compiler Program का Machine भाषा में अनुवाद कर देगा तथा Program Executed होकर अपना रिजल्ट दिखा देंगे.
लेकिन Program में यदि कोई Error हैं. तो Program Executed नहीं होगा तथा Computer को Error सहित Print कर वापिस भेज देता हैं. जिससे Error का आसानी से पता लग जाता हैं.
Compiler के उपयोग में Program चलते समय उसमें Correction करना संभव नहीं हैं. छोटी से छोटी Error होने के बावजूद भी Source Program को प्रत्येक बार बदलना पड़ता हैं. जिसके कारण User को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता हैं. लेकिन Compiler के उपयोग से Program तेजी से Executed होता हैं.
Interpreter (अनुवादक) क्या हैं?
जैसा की आपने उपर जान की Interpreter (अनुवादक) भी High level Language के Program को Machine Language में Translate (अनुवाद) करता हैं. लेकिन यह एक समय में Source Program के केवल एक Line का ही अनुवाद Machine Language में करता हैं. तथा उस Translate हुए Line को Executed हो जाने के बाद ही Source Program की दूसरी Line का अनुवाद Machine Language में करता हैं.
इस तरह एक समय में एक-एक Line Translate तथा Executed होता हैं. इसमें पूर्ण प्रोग्राम के Executed होने तक इन्तजार नहीं करनी पड़ता हैं. इस कारण इसका उपयोग अपेक्षाकृत सरल है.
Interpreter में, भविष्य में उपयोग के लिए Object Code को Computer की Main Memory में भरने की भी आवश्यकता नहीं होती हैं. प्रत्येक बार Instruction Executed करते समय अनुवादक को उसका अनुवाद करना पड़ेगा. Interpreter की अपेक्षा Compiler अधिक जटिल हैं. इसके अलावा Computer की Memory में अधिक स्थान लेते हैं.
Assembler (असेम्बलर) क्या होते हैं?
असेम्बलर Assembly Language के Instruction को Machine Language में बदलने यानी अनुवाद करने का कार्य करते हैं. यह User द्वारा निर्धारित Memory के स्थान में Data भरते हैं.
Assembler मशीनी Language में अनुवादित Data स्मृति के निर्धारित अनुभाग में भरता हैं. प्रत्येक Assembler की विस्तृत कार्यप्रणाली भिन्न- भिन्न होती हैं. इसके कारण Programmer को उस सूक्ष्म संसाधित्र (Micro-Processor) की पूर्ण जानकारी होनी आवश्यक हैं. जिसके लिये वह Program लिख रहा हैं.
Example of High Level Language in hindi
आइए अब हम कुछ High Level Language (शक्तिशाली भाषाओं) के बारे में संक्षिप्त ज्ञान प्राप्त लेते हैं.
Fortran (फोर्टान) भाषा
Fortran Language Maths और Science सम्बन्धित कार्यों के लिए एक बहुत ही उपयोगी Language हैं. फोर्टान Formula Translation का संक्षिप्त रूप हैं. इस Language का विकास 1956 में John Backus व उसके साथियों द्वारा किया गया था. इस Language में Algebra जैसी समीकरणों का प्रयोग किया जाता हैं.
Algebra जैसी समीकरणों का प्रयोग होने के कारण Scientists और Mathematicians को इस Language में काम करने में आसानी होती हैं. इसके अलावा Science तथा Maths के जटिल समीकरणों को हल करने के लिए भी Fortran का उपयोग किया जाता हैं.
Fortran Language में लिखे गए Instruction Maths जानने वाले लोग बहुत ही आसानी से समझ जाते हैं. यद्यपि यह Language Maths के कार्यों के लिए उपयोगी हैं. लेकिन इसके कार्य करने की गति बहुत धीमी हैं. जिसके कारण इसका उपयोग व्यापारिक कार्यों में लाभकारी सिद्ध नहीं हुआ.
कोबोल (Cobol) भाषा
Cobol Stands for Common Business Oriented Language. यानी कोबोल साधारण Business संबंधी भाषा का संक्षिप्त रूप हैं. इस भाषा का आविष्कार May 1959 में हुआ था. देखा जाए तो Programming Language का ज्यादातर उपयोग व्यापारिक सम्बन्धी कार्यों के लिए ही होता हैं.
कोबोल Language का उपयोग व्यापारिक सम्बन्धी कार्यों में सबसे अधिक होता हैं. ज्यादातर व्यापारिक कार्यों में Data ज्यादा मात्रा में होते है व एक ही प्रकार के कार्य को बार-बार किया जाता हैं. वस्तु सूची नियंत्रण इसका एक बेहतरीन उदाहरण हैं. Cobol भाषा में लिखा गया Program इस प्रकार के कार्यों को अच्छी तरह से कर सकता हैं.
Cobol का इस्तेमाल कई तरह के प्रश्नों के उत्तरों का संक्षिप्त Report बनाने के लिए भी किया जाता हैं. जैसे की किसी अवधि विशेष में कितना सामान (Stock) आया व कितना सामान गया, कितना खर्च हुआ, कितनी बचत हुई इत्यादि.
व्यापार के क्षेत्र में इस Language का सबसे ज्यादा उपयोग होने का एक कारण यह भी है की इस Language में अंग्रेजी भाषा के जैसे वाक्यों का प्रयोग होता है. जो समझने में काफी सरल होते है. Cobol Language के Program को चार भागों में विभाजित किया जा सकता हैं.
- Identification division (पहचान अनुभाग)
- Environment division (पर्यावरण अनुभाग)
- Data division (डेटा अनुभाग)
- Procedure division (क्रिया विधि अनुभाग)
Identification division द्वारा Program व उसके लिखने वाले की पहचान की जाती हैं.
Environment division द्वारा किसी Program के लिखने या बनाने व उसे Executed करने के लिए Computer व Peripherals का निर्धारण किया जाता हैं.
Data division द्वारा Program के अन्तर्गामी व निर्गत की Format (लम्बाई व चौड़ाई) निर्धारित की जाती हैं. यह इस प्रणाली द्वारा उपयोग की गई फाइलों की बनावट का भी निर्धारण करता हैं.
Procedure division द्वारा Data अनुभाग की Files पर की जाने वाली क्रियाओं का अनुक्रम निर्धारित करता हैं.
BASIC (बेसिक) भाषा
Basic Stands for Beginners All Purpose Symbolic Instruction Code. यानी बेसिक प्रारम्भिक समस्त उद्देश्य संकेतिक अनुदेश कोड का संक्षिप्त रूप हैं.
Basic Language का आविष्कार 19633-64 में Dr. John G. Kemeny व Thomes E. Kuntz ने किया था. इस Language को विकसित करने का मुख्य कारण यह था. क्यों न एक ऐसी Language Develop की जाए. जो सीखने में अत्यन्त सरल हो. जिसका लाभ ज्यादा से ज्यादा लोग उठा सके.
वर्तमान समय में यह Language Personal Computer का उपयोग करने वालों व्यक्तियों में सबसे अधिक लोकप्रिय हैं. Personal Computer क्या हैं? की सम्पूर्ण इनफार्मेशन आपको इस article में मिल जाएगी.
पास्कल (Pascal) भाषा
Pascal भाषा का विकास ज्यूरिच के प्रोफेसर Niklauswirth ने 1971 में किया था. इस भाषा का नाम, फ्रान्सीसी दार्शनिक व आविष्कारक Pascal के नाम पर रखा गया. जिसने 16 वर्ष की आयु में ही एक Mechanical Calculator का आविष्कार किया था.
“समस्या हल करने की विधि सीखना” इस भाषा को आविष्कार करने का मुख्य उद्देश्य था. Pascal एक Block या खण्ड निर्मित Language हैं. यह Language 1960 में विकसित Algol-60 Language के बाद विकासित हुई. लेकिन Pascal Language Algol-60 भाषा से बहुत अधिक सरल हैं.
Simple होने के कारण इस Language का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक किया गया. विशेषकर यह भाषा Computer Education के रूप में काफ़ी सफल हुई. Pascal Language का ज्ञान होने पर अन्य भाषाएँ जैसे की PL/1, C इत्यादि सीखना सरल हो जाता हैं.
पी. एल./वन (PL/1)
Programming की पी. एल/वन (PL/1) भाषा का विकास IBM ने किया था. यह एक Multipurpose Language हैं. जिसका प्रयोग Business और Science दोनों क्षेत्रों में किया जा सकता हैं. इस Language में Cobol और Fortran दोनों Languages का समावेश हैं.
इस Language के Instruction काफी सरल होते हैं. जिसके कारण इसे सीखना भी सरल होता हैं. जिस कारण Programmer को Program लिखने में सुविधा होती हैं.
C Language क्या हैं?
इस Language का विकास U.S.A की Bell Laboratories में किया गया था. इस Language की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह है की यह System Software व Application Software दोनों को बनाने में उपयोगी सिद्ध हुआ हैं. System Software क्या हैं? और Application Software क्या हैं? की सम्पूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिल जाएगी.
इस भाषा में Business व Science संबंधी दोनों प्रकार के Program बनाए जा सकते हैं. C बहुत ही शक्तिशाली भाषा होने के कारण Programming Language में एक विशेष स्थान रखती हैं. क्योंकि यह न तो Basic, Pascal, व PL/1 जैसी High Level Language है और न ही Assembly Language की भांति Low Level Language भाषा हैं. यह इन दोनों प्रकार के Languages के बीच की भाषा हैं.
C मध्य श्रेणी की Language होने के कारण इसके प्रयोग से Assembly Language का प्रयोग किए बिना ही काम चल जाता हैं तथा High Level Language जैसे कार्य भी कराए जा सकते हैं. C की उन्नत भाषा ही C++ हैं.
d-Basc (डी-बेस) क्या हैं?
d-Basc Microcomputers के लिए एक Data Control System हैं. दरअसल Computer के boxes में जो information भरे होते हैं. वह Data Base कहलाती हैं. जिनमें इनफार्मेशन एकत्रित रखने का अनुशासन बहुत कड़ा होता हैं.
ये भाषाएँ Letters (पत्र) के Address के लेबल को Print करने, business letters printing इत्यादि को नियंत्रित रखने जैसे कार्यों के लिये विशेष रूप से इस्तेमाल की जाती हैं.
Logo (लोगो) भाषा
Computer के इस Language का विकास सिर्फ Computer Education को सरल बनाने के लिए किया गया. इस Language में Graphics बनाना इतना आसान है की छोटे बच्चे भी Graphics बना सकते हैं.
High Level Language के लाभ
उच्च शक्तिशाली भाषा के निम्नलिखित लाभ हैं.
1. सीखने में सरलता
इस Language में उपयोग होने वाले Words व Pharases लगभग अंग्रेजी जैसे ही होते हैं. जिसके कारण इस Language को आसानी से सीखा व समझा जा सकता हैं. इस Language में Computer Program लिखने के लिए अंग्रेजी शब्दों के अतिरिक्त दशमलव तथा संख्याओं का भी प्रयोग किया जाता हैं.
2. Programming में कम समय लगता हैं.
High Level Language के Instruction इतने सरल होते है की Programmer बहुत जल्द प्रोग्राम लिख सकता हैं. लेकिन Assembly व Machine Language से यह कार्य करना संभव नहीं हैं. High Level Language के Instruction Users की दृष्टि से बहुत सरल हैं. लेकिन Computer की दृष्टि से बहुत जटिल होते हैं.
किसी भी Program के लिए High Level Language में Instructions की संख्या Assembly व Machine Language की तुलना में बहुत कम होती हैं.
3. मानकीकरण
High Level Language मानकीकृत हैं. जैसे बेसिक भाषा में लिखे किसी Program का पूरे विश्व में एक ही अर्थ निकाला जाएगा.
4. मशीन से स्वतंत्र
High Level Language के Program Machine अर्थात् Computer की किस्म से स्वतंत्र होते हैं. ये Computer की किस्म पर डिपेंड नहीं होते हैं. यदि Computer में उस Language का अनुवाद हैं. तो कोई भी Computer किसी भी High Level Language में लिखा Program स्वीकार कर सकता हैं.
Diagonostic Error Detection (नैदानिक त्रुटि परिचयन)
प्रत्येक High Level Language के अपने नियम होते हैं. जो उसमें Statements लिखने तथा Instructions को Control करते हैं. किसी Program के Translate व Executed होने से पूर्व Compiler Program के प्रत्येक Statement की वाक्य मूलक त्रुटि के लिये जाँच करता हैं तथा समस्त त्रुटियों को दूर कर देता हैं. Computer द्वारा दोबारा उस समय तक translate प्रारंभ नहीं किया जाता हैं. जब तक की समस्त Error दूर न कर दी जाए.
यदि आप High Level Language क्या हैं? को और विस्तार से सीखना चाहते हैं. तो आप इस लेख को पढ़ सकते हैं. इस लेख में आपको शक्तिशाली भाषा की पूरी जानकारी मिल जाएगी.
Fourth Generation Language (फोर्थ-जेनरेशन लेंग्वेजेस) – 4GL
High Level Language की तरह Fourth Generation Language में भी अंग्रेजी स्टेटमेंट का ही प्रयोग होता हैं. लेकिन फिर भी, 4GL Non-Procedural Language हैं. इसका मतलब यह हुआ की Programmer सिर्फ “क्या” का उल्लेख करता है और Program “कैसे” को बिना पूछे सहयोग करता हैं. जिसके कारण 4GL में Program Code लिखने में कम समय तथा Programmer को कम मेहनत करनी पड़ती हैं.
देखा जाए तो वास्तव में 4GLs का इस्तेमाल करना इतना सरल है की जिसे Programming Language की थोड़ी बहुत भी समझ हैं. वह बहुत ही आसानी Fourth Generation Language का इस्तेमाल करके Program Develop कर सकता हैं.
आप इतना समझ लीजिए की Fourth Generation Language अत्यन्त सरल, मशीन से आत्मनिर्भर तथा User Friendly भाषा हैं. जिसमें कम Code लिखकर भी Program तैयार किया जा सकता हैं. कुछ प्रमुख 4GL भाषाओं के नाम MS-Access, DBASE, ORACLE इत्यादि हैं.
Non-Procedural 4GL
Fourth Generation Language में सामान्य कार्यों के लिए भी Built-in Functions होते हैं. यानी की Readymade Code बने होते हैं. User को अपने Code में सिर्फ यह लिखना होता है की “क्या करना हैं?”/” कैसे करना है” के लिए Code नहीं लिखना पड़ता हैं.
जिन भाषाओं में उपर्युक्त विशेषताएँ होती हैं. उसे Non-Procedural भाषा कहा जाता हैं. यानी की जिसे Procedural (विधि) की जरूरत नहीं होती हैं. Fourth Generation Language क्या हैं? 4GL की विशेषताएँ क्या हैं? के विषय में अधिक जानकारी के लिए आप इस लेख को पढ़ सकते हैं.
तो यह थी Programming Language in hindi की सम्पूर्ण जानकारी जो आपके लिए लाभदायक रही होगी.
आप कौन सी Programming Language सीखे?
सूक्ष्म या माइक्रों Computers में बहुत सी Languages उपलब्ध हैं. ऐसे में किस Language का चयन किया जाए. यह बहुत से घटकों पर निर्भर करता हैं. इनका संक्षिप्त वर्णन नीचे उल्लेख किया गया हैं.
आप किस Computer Language से Familiar हैं. यह बात सबसे महत्वपूर्ण हैं. यदि आपको पहले से ही किसी Computer Language का ज्ञान हैं. तो आप किसी अन्य भाषा को सिखाने के स्थान पर उसी भाषा का चयन करें. जिसे आप अच्छे से जानते और समझते हैं.
यदि आप मुझसे पूछेंगे. तो मैं यही कहूँगा की लगभग सभी Programming Language सरल होते हैं. यदि आप मन लगाकर सीखते है और उसका रोजाना अभ्यास करते हैं. तो कुछ भी नामुमकिन नहीं हैं. वैसे आप निम्न प्रोग्रामिंग भाषाओं से सीखने की शुरुआत कर सकते हैं.
- HTML
- CSS
- C Language
- Python
- JAVA
आप उपर्युक्त में से किसी भी एक लैंग्वेज से सीखना शुरू कीजिए और रोजाना उसका अभ्यास कीजिए. आपको कामयाबी जरूर मिलेगी.
आज आपने क्या सिखा (Programming Language in hindi)
अब आपने जान और सिख लिया है की प्रोग्रामिंग लैंग्वेज क्या हैं? What is Programming Language in hindi? उम्मीद करते है Programing language kya hai? की सम्पूर्ण जानकारी आपके के लिए काफी उपयोगी रही होगी. आप चाहे तो इस लेख “Programming Language in hindi” को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया साइट्स पर शेयर कर सकते हैं.
Leave a Reply